राज्य के हजारों बच्चों को छोड़ बेटी को कोटा से बिहार ले आए BJP विधायक, उठ रहे सवाल

लॉकडाउन के कारण बिहार के अलग-अलग जिलों के हजारों छात्र राजस्थान के कोटा शहर में फंसे हैं। जब यूपी सरकार ने वहां बच्चों को लाने के लिए बस भेजी थी तो नीतीश कुमार ने इसकी आलोचना की थी। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 19, 2020 10:13 AM IST

पटना। लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा शहर में बिहार के हजारों बच्चे फंसे हैं। यूपी की योगी सरकार ने वहां फंसे बच्चों को लाने के लिए बस भेजी थी। जिसपर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तंज कसा था कि यह लॉकडाउन का उल्लंघन है। इस बीच खबर है कि बिहार के एक बीजेपी विधायक कोटा में फंसी अपनी बेटी को सड़क मार्ग से घर ले आए हैं। 

विधायक को बिहार के कोटा जाने और आने के लिए स्पेशल पास मिला था। बीजेपी विधायक के इस कदम से बिहार की सियासत गरमा गई है। नीतीश का साथ छोड़ चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है। पीके ने एक विधायक को विशेष अनुमति दिए जाने के मामले पर नीतीश कुमार से पूछा कि अब आपकी मर्यादा क्या कहती है। 

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नीतीश से पूछा सवाल
प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा कि कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा। अब उन्हीं की सरकार ने बीजेपी के एक एमएलए को कोटा से अपने बेटे को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है। नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है। 

इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने बीजेपी विधायक को दिए गए गोपनीय शाखा के विशेष अनुमति के पत्र को भी शेयर किया है। जिसमें बताया गया कि बिहार विधान सभा के सदस्य अनिल सिंह की वाहन संख्या बीआर 01पीजे 0484 को नवादा से कोटा जाने और फिर आने की अनुमति दी गई है। 

कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को @NitishKumar ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया था कि ऐसा करना #lockdown की मर्यादा के ख़िलाफ़ होगा।

हिसार विधानसभा सीट से विधायक हैं अनिल सिंह
बता दें कि नवादा के हिसार विधानसभा सीट से अनिल सिंह विधायक हैं। ये 2015 में भारतीय जनता पार्टी से चुनाव जीतने में सफल हुए थे। बिहार में इस समय भाजपा-जदयू की गठबंधन सरकार है। इस मामले पर बीजेपी विधायक अनिल सिंह की ओर से प्रतिक्रिया आ चुकी है। अनिल सिंह ने कहा कि वो एक विधायक होने के साथ-साथ पिता भी है। ऐसे में लॉकडाउन की वजह से कोटा में फंसे बेटी को लेकर चिंतित थे। उन्होंने एक पिता होने के नाते नियमों के अधीन ही यह काम किया। 

एजुकेशन हब है कोटा, लाखों स्टूडेंट्स हैं फंसे
उल्लेखनीय हो कि कोटा की पहचान एजुकेशन हब के रूप में है। यहां डॉक्टरी के साथ-साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले लाखों छात्र-छात्राएं अलग-अलग राज्य से रह कर पढाई करते हैं। कोरोना के बचाव के लिए जब लॉकडाउन की घोषणा की गई तो यहां के एजुकेशन कोचिंग और संस्थान बंद पड़ गए। हॉस्टलों पर भी सख्ती हुई। ऐसे में देश के अलग-अलग राज्यों के लाखों छात्र वहां फंसे थे। यूपी के फंसे छात्रों के लिए योगी सरकार ने बसें भेजी थी। जिसकी नीतीश कुमार ने यह कहते हुए आलोचना की थी कि यह लॉकडाउन का मजाक है।  

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