पितरों को मोक्ष दिलाने रूस से आए लोग, मोक्षधाम में कुछ इस तरह किया पिंडदान और पूजा पाठ

पितरों के मोक्ष के लिए बिहार के गया जिले में पिंडदान किया जाता है। पिंडदान के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के साथ-साथ देश-विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं। हाल ही में पिंडदान के लिए गया में रूस से 50 श्रद्धालु आए।   
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2020 7:58 AM IST / Updated: Feb 13 2020, 03:16 PM IST

गया। मोक्षधाम के नाम से मशहूर गया में पिंडदान के लिए देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते है। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गया के विष्णुपद मंदिर में पिंडदान के लिए हमेशा श्रद्धालु की भीड़ जुटती है। पितृपक्ष के महीने में यहां खास आयोजन होता है। उस समय यहां श्रद्धालुओं का सैलाब रहता है। इसी क्रम में बुधवार को रूस से 50 श्रद्धालु गया पहुंचे। रूस से गया पहुंचे श्रद्धालुओं ने गया के विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर पिंडदान किया। 

भारतीय वेशभूषा में विधिवत किया कर्मकांड
श्रद्धालुओं के दल का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन मंदिर के जगदीश श्याम दास ने बताया ये लोग पितरों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से पिंडदान करने रूस से मंगलवार को गया पहुंचे थे। भारतीय वेषभूषा में बुधवार को इनलोगों ने विधिवत तरीके से कर्मकांड किया। श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर स्थित गर्भगृह में भगवान श्रीहरि के चरणचिह्न पर पिंडों को अर्पित किया। गयापाल पुरोहित मुनीलाल कटरियार ने वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ कर्मकांड कराया।
श्रद्धालु ऐलिना ने कहा कि भारत धर्म व अध्‍यात्‍म की धरती है। गया आकर शांति की अनुभूति हो रही है। मैं अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आई हूं। 

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लोगों ने विदेशी श्रद्धालुओं का किया स्वागत
गया में पहुंचे इन विदेशी श्रद्धालुओं का स्थानीय लोगों ने सत्कार के साथ स्वागत किया। श्रद्धालुओं को देखने के लिए सड़क किनारे लोगों की भीड़ लगी थी। कई लोग विदेशी श्रद्धालुओं को मोबाइल में कैद करते भी दिखे। श्रद्धालुओं का मंदिर में भव्य स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं की टीम का नेतृत्व कर रहे जगदीश श्याम दास ने कहा कि एक दिवसीय कर्मकांड करने के बाद गुरुवार को सुबह में श्रद्धालु वाराणसी के लौट जाएंगे। कर्मकांड समाप्त होने के बाद विदेशी श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर से गांधी मैदान स्थित इस्कॉन मंदिर तक पैदल पहुंचे। हरिनाम कीर्तन करते हुए श्रद्धालु मंदिर पहुंचे।

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