
नई दिल्ली : चिराग पासवान (Chirag Paswan)और पशुपति पारस (Pashupati Paras) में तनातनी के बीच दोनों को चुनाव आयोग ने झटका दिया है। चुनाव आयोग (Election commission)ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का चुनाव चिह्न जब्त कर लिया है। दोनों नेताओं की ओर से पार्टी सिंबल को लेकर दावा किया जा रहा था। इसको लेकर लगातार सियासत भी देखने को मिल रही थी।
रामविलास पासवान के निधन के दो गुटों में बंटी पार्टी
LJP के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद ही पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक गुट में चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए तो बाकी सांसद उनके चाचा पशुपति पारस के साथ चले गए। बाद में पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया है। जबकि चिराग पासवान अपने नेतृत्व में बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। दोनों के बीच लगातार तनातनी है। अब पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया।
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उपचुनाव के पहले चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
चुनाव आयोग का ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने वाले हैं। मुंगेर के तारापुर और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को वोट डाले जाने हैं। उपचुनाव की नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में लोक जनशक्ति पार्टी को जल्द ही विवाद का निपटारा करना होगा।
कोई भी गुट नहीं कर सकेगा नाम का इस्तेमाल
चुनाव आयोग ने अपने एक आदेश में ये भी कहा कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के नेतृत्व वाले किसी भी गुट को लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बता दें कि LJP में चाचा-भतीजे में जारी लड़ाई के बीच चिराग ने दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवार भी उतारने का ऐलान कर दिया था। वहीं चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद विपक्ष एक बार फिर से हमलावर हो गया है।
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