पुलवामा अटैक बरसीः फौजी बन देशसेवा करना चाहता शहीद रतन ठाकुर का पांच साल का बेटा

पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले का आज वर्ष पूरा हो गया। आज ही दिन पिछले साल पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 42 जवान शहीद हो गए थे। 
 

भागलपुर। पुलवामा अटैक में शहीद हुए भागलपुर के रतन ठाकुर का पांच साल का बेटा कृष्णा अपने पिता की तरह फौजी बनकर देशसेवा करने की चाहत रखता है। कृष्णा अभी अपने मां, दादा-दादी, चाचा के साथ भागलपुर में रहता है। शहर के एक निजी स्कूल में केजी में पढ़ाई कर रहा कृष्णा ने पुलवामा अटैक की पहली बरसी पर मीडिया को बताया कि वो भी फौजी बनना चाहता है। पिता की शहादत के बारे में कृष्णा को बहुत कुछ नहीं पता है वो बस पिता की तस्वीर को देखकर बताता है कि मुझे भी पापा भी तरह बनना है। बता दें कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 42 जवान शहीद हुए थे। इसमे भागलपुर के रतन ठाकुर भी शामिल थे। 

केजी में पढ़ाई कर रहा है कृष्णा
मूल रूप से भागलपुर के सन्हौला मदारगंज निवासी रतन सीआरपीएफ के 45वें बटालियन में थे। 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले में वो शहीद हुए थे। 2011 में रतन ने सीआरपीएफ ज्वाईन की थी। 2014 में उनकी शादी बांका के बौसी में राजनंदनी से हुई थी। 2015 में कृष्णा का जन्म हुआ था। कृष्णा से सिर से जब पिता का साया उठा तब वो मात्र चार वर्ष का ही था। अभी कृष्णा अपनी मां, दादा रामनिरंजन ठाकुर और दादी के साथ भागलपुर में रहता है। कृष्णा की पढ़ाई भागलपुर के प्रतिष्ठित माउंट एसीसी स्कूल में हो रही है। 

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स्मारक, द्वार निर्माण नहीं होने से जताई निराशा 
शहीद के पिता राननिरंजन ठाकुर ने बताया कि बेटे की शहादत के बाद स्थानीय लोगों ने भरपूर सहयोग दिया। कृष्णा के एडमिशन से लेकर रतन के दूसरे बच्चे के जन्म के समय स्थानीय लोगों ने पूरा सहयोग दिया। राम निरंजन ने बताया कि बेटे की शहादत के समय राज्य सरकार ने जो घोषणाएं की थी उसे पूरा किया गया। हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार के काम पर निराशा जताई। स्मारक, द्वार निर्माण और गांव के उत्थान को लिए किए गए वायदे अभी पूरे नहीं किए गए है। जिसके लिए रामनिरंजन ने निराशा जताई। 

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