डॉक्टरों ने ढूंढ निकाला कोरोना का इलाज, प्लाजमा थेरेपी से बचाई जाएगी कोविड-19 मरीजों की जान

बिहार के साथ-साथ देश भर में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके इलाज के लिए अभी तक कोई प्रॉपर दवा तो नहीं मिली है, लेकिन डॉक्टरों ने कोरोना को मात दे चुके लोगों के ब्लड से प्लाजमा निकाल कर अन्य संक्रमित मरीजों के सफल इलाज का दावा किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 25, 2020 8:54 AM IST

पटना। देश के साथ-साथ बिहार में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिहार में इस समय कोरोना के मरीजों की संख्या 223  हैं। राज्य के 38 जिलों में से 20 जिलों से कोरोना के मरीज मिल चुके हैं। बिहार में इससे दो लोगों की मौत हुई है। जबकि 44 मरीज कोरोना को हरा कर जिंदगी की जंग जीत चुके हैं। अभी तक इस बीमारी की कोई प्रॉपर दवा को नहीं मिली है। लेकिन कोरोना को हरा चुके लोगों के प्लाजमा से अन्य मरीजों के इलाज का तरीका ने डॉक्टरों ने ढूंढ निकाला है। इस थेरेपी को प्लाजमा थेरेपी का नाम दिया गया है। बिहार में इसकी मंजूरी दे दी गई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार ने ट्विट करते हुए इस बात की पुष्टि की है।

प्लाजमा थेरेपी से बढ़ाई जाएगी इम्युनिटी
बता दें कि प्लाजमा थेरेपी के तहत कोरोना को हरा चुके लोगों से खून लिया जाएगा। इसके बाद उनके ब्लड से प्लाजमा निकाला जाएगा। ये प्लाजमा कोरोना के अन्य संक्रमित मरीजों के लिए एंटीडोट जैसा काम करेगी। डॉक्टर का कहना है कि प्लाजमा थेरेपी से इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है। इसका कोई साइट इफेक्ट भी नहीं है। बताया जा रहा है कि कुछ मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया है, जिसका नतीजा बेहतर मिला है। एैसे में कोरोना के पुराने वैसे मरीज जो इस बीमारी को मात दे चुके हैं, वे नए व दूसरे मरीजों के लिए जिंदगी की नई उम्मीद बनकर उभरेंगे।  
 
पटना एम्स को आईसीएमआर ने दिए निर्देश

प्लाजमा थेरेपी के लिए आईसीएमआर ने पटना एम्स को मंजूरी दे दी है। अब पटना एम्स के डॉक्टर राज्य में कोरोना को शिकस्त देकर जिंदगी की जंग जीतने वाले मरीजों से खून लेंगे। फिर ऐसे लोगों के खून से प्लाजमा निकाला जाएगा। जिससे अन्य संक्रमित मरीजों का इलाज हो सके। हालांकि इस थेरेपी के साथ एक दिक्कत यह है कोरोना को मात देने वाले मरीज अपना खून देने में आनाकानी कर सकते हैं। बता दें कि रक्तदान महादान जैसे अभियान चलाने के बाद भी कई लोग रक्तदान करने के लिए आगे नहीं आते हैं। ऐसे में कोरोना से उपजे इस संकट काल में कोरोना को हराने वाले मरीज क्या अपना खून दूसरों के इलाज के लिए देंगे, इसपर संशय है।  

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