लॉकडाउन में बंद हुई इनकम तो कर्ज के बोझ में दबे पति-पत्नी ने दे दी जान, मासूम बच्चों का नहीं आया ख्याल

लॉकडाउन के कारण लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर बुरा प्रभाव पड़ा है। कर्ज लेकर काम शुरू करने वाले लोग बुरी तरह से परेशान है। इस स्थिति में लोग मानसिक तनाव और कर्ज के दवाब में खुदकुशी जैसे कदम भी उठा रहे हैं। 
 

वैशाली। मामला बिहार के वैशाली जिले का है। जहां एक दंपत्ति ने आजीविका के लिए कर्ज लेकर ट्रक खरीदा था। इस ट्रक से वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण जब वाहनों का परिचालन बंद कर दिया तो इस परिवार की मुश्किलें बढ़ने लगी। सबसे पहले तो इनकी आमदनी बंद हो गई। उसके बाद कर्जदार इन्हें परेशान करने लगे। इस बीच पति-पत्नी में विवाद हुआ जिसके बाद दोनों ने आत्महत्या कर ली।

दिल दहला देने वाली ये घटना हाजीपुर के सराय थाना क्षेत्र के मरीचाराम गांव की है। कर्ज के बोझ में दबे पति-पत्नी में हुए विवाद के बाद पहले पत्नी ने अपने शरीर में आग लगा ली। पत्नी को बचाने की क्रम में पति भी झुलस गया। लेकिन वो अपनी पत्नी को बचा नहीं सका। पत्नी की मौत के कुछ देर बाद पति ने घर के  पास ही अमरूद की पेड़ में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। 

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महिला समूहों से लिया था 5 लाख का कर्ज
मृतक की पहचान महमदाबाद पंचायत के मरीचाराम गांव निवासी 35 वर्षीय रमेश साह के रूप में हुई है। जबकि रमेश की पत्नी 32 वर्षीय सुमन देवी ने खुद के शरीर में आग लगाकर जान दे दी। बताया जाता है कि तीन साल पहले एक ट्रक खरीदा था। ट्रक का कर्ज चुकाने के लिए महिला ने विभिन्न महिला समूहों से पांच लाख रुपए का कर्ज लिया था। इसी कर्ज की किस्त को लेकर पति-पत्नी तनाव में थे। लॉकडाउन से पहले तक इनका परिवार काफी हंसी-खुशी से अपना जीवन जी रहा था। ट्रक से होने वाली आय से ये न केवल कर्ज की किस्त चुका रहे थे, बल्कि दो बच्चों को भी अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे थे। लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही इनके परिवार की आमदनी बंद हो गई। जिसके बाद कर्ज, किस्त के साथ-साथ परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था। 

आवेदन मिलने पर की जाएगी छानबीन
मृतक के दो पुत्र हैं,  10 वर्षीय प्रिंस और 7 वर्षीय सन्नी कुमार। माता-पिता की मौत के बाद दोनों की हालत खराब है। मृतका के मायके वाले मौके पर पहुंच गए हैं। मामले की सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सराय थानाध्यक्ष सुनीता कुमारी ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। अभी तक मामले में कोई आवेदन नहीं मिली है। यदि पीड़ित परिवार की ओर से कोई आवेदन मिलता है, तो मामले की छानबीन की जाएगी।

कोरोना से बचाव के लिए बिहार में 22 मार्च से ही लॉकडाउन है। लॉकडाउन के कारण कई परिवारों की स्थिति खराब हो गई है। रोजी-रोटी छिन जाने के कारण लोग मानसिक रूप से तनाव के शिकार हो रहे हैं।

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