कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए 24 मार्च से जारी लॉकडाउन में पूरे देश में कल-कारखाने बंद है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी कम हुई है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। जिसका नतीजा भी अब दिखने लगा है।
सीतामढ़ी। बिहार-नेपाल के बॉर्डर पर स्थित सीतामढ़ी जिले को माता सीता की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। इस ऐतिहासिक शहर से हिमालय पर्वत श्रृंखला की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। नेपाल में स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखला की तलहटी नूनथड़ पहाड़ सीतामढ़ी से करीब 120 किलोमीटर दूर है। जो इन दिनों सीतामढ़ी से दिख रही है। नूनथड़ पहाड़ से करीब 90 किलोमीटर और आगे विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट है। एवरेस्ट का दर्शन भी सीतामढ़ी से हो रहा है। पर्यावरणविद् और विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण प्रदूषण का स्तर कम होने से ऐसा संभव हुआ है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स में हुआ है व्यापक सुधार
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा है। लॉकडाउन में औद्योगिक कल-कारखानों के साथ-साथ सड़कों पर वाहनों की आवाजाही थम सी गई है। जिसका असर प्रदूषण पर पड़ा है। सीतामढ़ी सहित बिहार के अन्य शहरों में मई के महीने में एयर क्वालिटी इंडेक्स जहां अन्य वर्षों में 400 के पार हुआ करती थी, वो अब घट कर 100-150 के बीच आ गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स घटने के साथ-साथ विजिबिलिटी काफी ज्यादा बढ़ी है। इससे सीतामढ़ी से 120 किलोमीटर दूर नेपाल में स्थित हिमालय के दर्शन होने लगा है। सीतामढ़ी के स्थानीय लोगों ने बताया कि इससे पहले 1980 के दशक में ऐसा नजारा देखने को मिलता था।
1980 में दिखा करता था ऐसा नजाराः रिटायर शिक्षक
ऐसे में जो काम सरकार, एनजीटी व अन्य पर्यावरण समर्पित संस्थाएं बीते दशकों में करोड़ों रुपए खर्च कर नहीं कर सकी वो लॉकडाउन ने डेढ़ महीने में कर दिया है। इस खबर के साथ दिख रही तस्वीर सीतामढ़ी शहर के एक छत से ली गई है। जहां से हिमालय की तलहटी में स्थित नूनथड़ पहाड़ और उसके पीछे स्थित एवरेस्ट तक आसानी से दिख रहा है। सीतामढ़ी के रिटायर शिक्षक हरिनारायण ने बताया कि इससे पहले 1980 में ऐसा नजारा देखने को मिलता था। 80 के दशक के बाद ऐसा पहली बार है, जहां गर्मी के दिनों में आसमान साफ होने से सीतामढ़ी से हिमालय साफ-साफ दिख रहा है।