4800 रूपए में रिक्शा खरीदा, सामान लाद बीबी-बच्चे को बिठाया, फिर 1600 किमी की यात्रा पर निकला शख्स

लॉकडाउन-3 में मिले ढील के बाद दूसरे राज्यों में रह रहे मजदूरों की वापसी श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए कराई जा रही है। लेकिन कई लोग ऐसे ही है जो अपने साधन से घर वापसी कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के फरक्का निवासी गोविंदा भी बेहतर कल की उम्मीद लिए ऐसे ही सफर पर है।  

Asianet News Hindi | Published : May 9, 2020 12:32 PM IST / Updated: May 09 2020, 07:17 PM IST

जमुई। वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव को लेकर देश में लगाए गए लॉकडाउन से त्रस्त मजदूरों का अपने घर की ओर पलायन जारी है। लॉकडाउन के तीसरे टर्म में मिली ढील के बाद कई राज्यों से स्पेशल ट्रेन चलवा कर लोगों को अपने घर पहुंचाया जा रहा है। हालांकि इस बीच कई ऐसे भी लोग है जो अपने-अपने साधन से बेहतर कल की उम्मीद लिए अपने घर जा रहे हैं। आज बिहार जमुई जिले में एक ऐसे प्रवासी मजदूर से हमारी मुलाकात हुई। ये प्रवासी अपने बीबी-बच्चों के साथ दिल्ली से फरक्का लौट रहा है। 

दिल्ली के बागपत में राजमिस्त्री का था काम
जमुई के सिकंदरा चौक पर जब हमने इन्हें देखा तो रिक्शे पर लदा सामान और चालक की स्थिति देख हैरानी हुई। फिर उनसे बातचीत की तो पता चला कि लॉकडाउन ने किस कदर रोज कमाने खाने वाले लोगों की जिंदगी खराब की है। रिक्शा चालक ने अपना नाम गोविंदा मंडल बताया। गोविंदा पश्चिम बंगाल के फरक्का के रहने वाले हैं। दिल्ली के बागपत इलाके में राजमिस्त्री का काम किया करते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद रोजी-रोटी छिन गई तो जैसे-तैसे वहां गुजारा कर रहे थे। जब भूखमरी की स्थिति आन पड़ी तो घर वापसी का सोचा। 

Latest Videos

प्रतिदिन 100 किलोमीटर की दूरी कर रहे तय
लेकिन घर वापसी का कोई साधन नहीं मिलता देख गोविंदा ने रिक्शे से घर जाने की ठानी। इन्होंने 4800 रुपए में एक रिक्शा खरीदा। उस पर सारा सामान लादा। फिर पत्नी सुलेखा मंडल और 1 वर्षीय बच्चे को साथ लेकर दिल्ली से फरक्का की 16 सौ किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़े। गोविंदा ने बताया कि 13 दिनों में वे यहां पहुंचे हैं। मतलब 13 दिन में 1300 किलोमीटर की सफर गोविंदा ने तय कर लिया। कल्पना कीजिए बिना प्रतिदिन 100 km रिक्शा चलाना, वो भी पूरे परिवार के साथ अनजानी सड़क पर कितना कष्टप्रद रहा होगा। 

एक महीने में की थी 16 हजार की कमाई
गोविंदा ने बताया कि लॉकडाउन लगने से पहले एक महीने में उसने 16 हजार रुपये की कमाई की। लॉकडाउन लगने के बाद ग्यारह हजार रुपये खाने-पीने में खर्च हो गए। शेष बचे पांच हजार रुपये में 48 सौ में रिक्शा खरीदा और अपने पत्नी एवं छोटे बच्चे को बिठाकर दिल्ली के बागपत नगर से अपने घर फरक्का के सब्दलपुर के लिए निकले हैं। 13 दिनों के बाद शनिवार को सिकंदरा पहुंचा जहां सिकंदरा पुलिस एवं ग्रामीणों के सहयोग से खाने-पीने की सामग्री एवं कुछ राशि दी गई। वही रास्ते में इनको कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा। आंधी-पानी से बचते हुए पत्नी व बच्चे के साथ बेहतर कल की उम्मीद लिए घर जा रहे हैं। 

Share this article
click me!

Latest Videos

कांग्रेस को गणपति पूजा से भी है नफरत #Shorts
'क्या बेटा इतना बड़ा हो गया जो मां को आंख दिखाए' मोहन भागवत से Arvind Kejriwal ने पूछे 5 सॉलिड सवाल
चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा, जनता की अदालत में पहुंचे केजरीवाल #Shorts #ArvindKejriwal
झारखंड में सिर्फ भाजपा ही कर सकती है ये काम #shorts
Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में क्यों कराया जाता है कौवे को भोजन, क्या है महत्व