अमित शाह ने हाल ही में बिहार का दौरा किया था। शाह ने कहा था कि बीजेपी गठबंधन धर्म निभाएगी। 2024 के लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा का चुनाव जेडीयू के साथ मिलकर लड़ा जाएगा। कई मौके पर नीतीश कुमार बीजेपी से दूरी बना चुके हैं।
पटना. बिहार की राजनीति में एक बार फिर से सियासी उठापटक तेज हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीतीश कुमार आने वाले 24 से 48 घंटे में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़ सकते हैं। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जेडीयू को कम सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी को ज्यादा इसके बाद भी नीतीश कुमार सीएम बनाए गए थे। लेकिन अब बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच नाराजगी की खबरें आ रही हैं। आइए जानते हैं वो 5 कौन से कारण हैं जिसके कारण बिहार में एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगाई जा रही हैं।
विधानसभा स्पीकर को हटाना चाहते हैं नीतीश कुमार
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि विजय कुमार सिन्हा को हटाया जाए। नीतीश कुमार सदन में भी उनके खिलाफ नाराजगी जता चुके हैं। सिन्हा ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया था। जिसके बाद नीतीश कुमार ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया था। ऐसे में नीतीश चाहते हैं कि बीजेपी उन्हें हटाकर किसी दूसरे नेता को विधानसभा अध्यक्ष बनाए।
केन्द्रीय कैबिनेट में जगह नहीं
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद माना जा रहा था कि जेडीयू कोटे से कम से कम दो नेता केन्द्रीय मंत्री बन सकते हैं। लेकिन मोदी कैबिनेट में केवल आरसीपी सिंह को जगह मिली थी। यही कारण है कि इस बार नीतीश कुमार की पार्टी ने आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा जिस कारण से उन्हें मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। जबकि बिहार कैबिनेट में नीतीश कुमार ने बीजेपी के 8 नेताओं को अपने कैबिनेट में जगह दी थी।
एक साथ चुनाव कराने पर सहमत नहीं
पीएम मोदी कई बार कह चुके हैं एक देश एक चुनाव। मतलब राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। केन्द्र सरकार के इस प्रस्ताव से नीतीश कुमार खुश नहीं हैं। वो नहीं चाहते हैं कि देश में एक साथ चुनाव हो। बता दें कि विपक्ष भी केन्द्र के इस प्रस्ताव का विरोध कर रहा है।
कैबिनेट में अपनी राय चाहते हैं नीतीश
बिहार कैबिनेट के विस्तार में नीतीश कुमार अपनी पंसद चाहते हैं। बीजेपी कोटे से कौन मंत्री होगा इस पर भी वो अपनी राय चाहते हैं। सुशील कुमार मोदी लंबे समय तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे। नीतीश कुमार के साथ उनकी बॉन्डिग भी बेहतरीन हैं लेकिन पार्टी हाई कमान ने उन्हें राज्य से बाहर कर दूसरी जिम्मेदारियां दे दीं। कहा जाता है कि बीजेपी कोटे से कौन मंत्री होगा इसका फैसला अमित शाह करते हैं।
सहयोगियों के केन्द्र में कम अहमियत मिलने से नाराज
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार इसलिए भी बीजेपी के नाराज बताए जा रहे हैं कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व मात्र सांकेतिक रूप में मिल रहा है। बिहार में आरसीपी सिंह जब दोबारा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे उन्होंने नीतीश कुमार को किनारे कर सीधे बीजेपी नेतृत्व से बात की थी इसके बाद से नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे। उन्होंने साफ किया था कि केन्द्रीय कैबिनेट में जेडीयू शामिल नहीं होगी।
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