बच्चों के एडमिशन, स्कूल चार्ज, री-एडमिशन, ड्रेस, किताबें समेत अन्य खर्च से वर्ष के शुरुआती दो-तीन महीनों में हर अभिभावक परेशान रहता है। लेकिन अब बिहार सरकार के निर्देशानुसार निजी स्कूलों की मनमानी लगी है।
पटना। बिहार निजी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2019 के निर्देशानुसार गठित निजी विद्यालय शुल्क विनियमन समिति ने बैठक कर फीस बढ़ोतरी करने वाले स्कूल प्रबंधन पर नकेल कस दी है। अब पटना का कोई भी निजी स्कूल वार्षिक सात प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी दी गई। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष कोई भी निजी स्कूल अपनी फीस में सात प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। यदि कोई स्कूल प्रबंधन इसका उल्लंघन करता है तो उसकी शिकायत आयुक्त की दी जा सकती है। शिकायत मिलने पर संबंधित स्कूल पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सार्वजनिक करनी होगी फीस बढ़ोतरी की सूचना
बैठक के बाद आयुक्त ने फैसले को समझाते हुए बताया कि निजी स्कूल एडमिशन फीस, रि-एडमिशन फीस, डेवलपमेंट फीस, मंथली ट्यूशन फीस, ईयरली फीस समेत अन्य सभी प्रकार की फीस को मिलाकर सात प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ा सकते हैं। फीस बढ़ोतरी की ये सूचना स्कूल प्रबंधन को नोटिस बोर्ड के साथ-साथ अपने स्कूल के वेबसाइड पर भी देनी होगी। बैठक में यह भी बताया गया कि जिन स्कूलों की वेबसाइड अब तक नहीं बनी है वे जल्द से जल्द अपने स्कूल की वेबसाइड बना ले।
पटना प्रमंडल के सभी जिलों पर होगा लागू
बता दें कि बिहार निजी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिकनियम 2019 को फरवरी 2019 में पास किया गया था। इस अधिनियम के प्रत्येक प्रमंडल में एक शुल्क विनियमन अधिनियम बनाने की बात की गई थी। जिसमें सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी स्कूलों के प्रतिनिधी के साथ-साथ अभिभावक भी शामिल करने का निर्देश दिया गया था। इसी कमेटी ने बैठक कर इस बात की जानकारी दी। हालांकि यह फैसला पटना प्रमंडल के जिलों पर लागू होगा। अन्य कई प्रमंडल में अबतक शुल्क विनियम समिति का गठन नहीं हो सका है।