यदि आपका हौसला बुलंद हो तो आर्थिक विपन्नता पढ़ाई में आड़े नहीं आता। पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम कर रहे सौरव कुमार ने इस बात को साबित कर दिखाया है। प्रोफेसर बनने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और अब उन्हें दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल हासिल हुआ है।
पूर्णिया। हौसला बुलंद हो तो लक्ष्य प्राप्ति की ओर धीरे-धीरे बढ़ते रहने से भी कामयाबी मिल ही जाती है। विपरित स्थिति में अर्जित की ये सफलता कईयों के प्रेरक होती है। पूर्णिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सौरव कुमार इस उक्ति की जीती-जागती मिसाल हैं। मामूली किसान परिवार में जन्मे सौरव ने आर्थिक संकट के बीच एम.टेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद भी वो आगे की पढाई करना चाहते थे कि लेकिन परिवार आर्थिक मदद देने के काबिल नहीं था। परिस्थिति को भांप कर उन्होंने बीपीएससी की तैयारी की और परीक्षा पास कर प्रोफेसर पद पर बहाल हुए।
ऑनलाइन पढ़ाई में 96 प्रतिशत अंक
पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज में बच्चों को पढ़ाते हुए उन्होंने महसूस किया कि अभी और पढ़ाई करनी चाहिए। प्रोफेसर की नौकरी के साथ-साथ सौरव ने ऑनलाईन पढ़ाई शुरू की। अब ऑनलाइन पढ़ाई में 96 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सौरव ने गोल्ड और सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर निवासी सौरव ने बताया कि मैंने इंटिग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट ऑफ स्मार्ट सिटी एवं जियो टेक्निकल इंजीनियरिंग लैब और रेगरेशन एनालिसिस, डिजाइन रेनफार्स कंक्रीट स्ट्रक्चर आदि विषयों को मिलाकर दो गोल्ड व दो सिल्वर सर्टिफिकेट प्राप्त किया है।
पटना से बीटेक व IIT खड़गपुर से एमटेक
सौरव कुमार ने बताया कि उन्होंने स्वयं पोर्टल के माध्यम से नौकरी मिलने के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखी। उनका कहना है कि मन में ज्ञान अर्जित करने की ललक हो तो कोई कार्य या समस्या बाधक नहीं बन सकी। सौरव ने मिनिस्ट्री ऑफ एचआरडी द्वारा संचालित एनपीटीएल ऑनलाईन सर्टिफिकेट (स्वयं पोर्टल) में दाखिला लिया और प्रत्येक 6 माह में होने वाली परीक्षा में शामिल होकर यह उपलब्धि हासिल कर ली। सौरव ने पटना एनआईटी से सत्र 2008-12 में बीटेक सिविल की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जैम की परीक्षा पास की और आईआइटी खड़गपुर से एमटेक सिविल इंजीनियरिंग की।
आर्थिक तंगी भी नहीं तोड़ सकी हौसला
सौरव ने 2014 में बीपीएससी की परीक्षा पास की और साल 2018 में पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज के सिविल विभाग के एचआडी बने। उन्हें कॉलेज प्रशासन ने ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल का जिम्मा भी दे रखा है। सौरव ने बताया कि उनके पिता जीतेंद्र कुमार द्विवेदी एक साधारण किसान है। इस वजह से घर की स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर थी। पैसों की कमी से जूझ रहे उनके पिता का सपना था कि सौरव पढ़ लिखकर जीवन में सफल बने। इस कारण मुझे पढ़ने पटना भेज दिया। मैंने स्कॉलरशिप से पढ़ाई की। बीटेक में 91.1 प्रतिशत, एमटेक में 87.6 प्रतिशत अंक प्राप्त किया। सौरव ने युवाओं को संघर्ष से न घबराने की सलाह दी।