बिहार में स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की मदद से सरकारी राशि की बंदरबांट किस तरह की जाती है, उसका एक जीता जागता सबूत सारण जिले से सामने आया है। यहां जिंदा महिला को एक साल पहले ही मरा बता दिया गया था।
सारण। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन में गरीब परिवार के सामने भुखमरी की समस्या है। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति भूखा न रह जाए इसलिए सरकार ने सभी जन धन खातों में 500-500 रुपए जमा किए है। जिसे निकालने के लिए इन दिनों बिहार के प्रायः सभी जिलों की बैंक शाखाओं और सीएसपी सेंटरों पर भीड़ जमा हो रही है। प्रशासन की कोशिश है कि बैंकों पर जमा होने वाली भीड़ को कम से कम किया जाए।
इसके लिए पुलिस की तैनाती के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बैंक के बाहर गोल घेरा बनाने जैसे प्रयास किए जा रहे है। लेकिन इस बीच बिहार के सारण से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने बिहार के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की लापरवाहियों की पोल खोल कर रख दी है।
धवरी पंचायत के रामनगरी गांव का मामला
दरअसल, सारण में एक वृद्ध महिला अपने जनधन खाते में सरकार की ओर जमा हुए 500 रुपए निकालने के लिए बैंक पहुंची। लेकिन उसके बैंक पहुंचते ही बैंककर्मियों में हड़कंप मच गया। दरअसल बैंक में जमा कागजातों के अनुसार उक्त महिला की मृत्यु एक साल पहले हो चुकी थी। ऐसे में उस महिला के खाते को बंद कर दिया गया था। बैंक के पास मौजूद कागजात में उक्त महिला का पंचायत के सरपंच का लेटर भी मिला जिसमें यह बताया गया था कि धवरी पंचायत के रामगनरी निवासी धनेश्वर रावत की पत्नी चानो देवी की मृत्यु 09.10.2019 को हो गई। इस पत्र में महिला की तस्वीर भी लगी थी। धवरी पंचायत सीवान के बनियापुर प्रखंड के सहाजितपुर थाना क्षेत्र में पड़ता है।
सरपंच ने छोटे पुत्र पर ठोंका गलती का ठीकरा
महिला के बैंक पहुंचते ही पहले तो बैंककर्मी घबरा गए। लेकिन बाद में हिम्मत करते हुए उसे पत्र दिखाते हुए पूछा कि आप तो जीवित हैं। फिर ये पत्र कैसे हमें मिला। जिसमें बताया गया कि आपकी मौत हो चुकी है। इस मामले में बैंक के अधिकारियों ने पत्र जारी करने वाली महिला सरपंच से पूछताछ की। जिसमें सरपंच ने सारी गलती का ठीकरा अपने छोटे पुत्र पर ठोंक दिया।
सरपंच ने बताया कि उसका छोटा पुत्र उनका जाली हस्ताक्षर कर ऐसे पत्र बना देता है। ये गलती उसी की है। इस घटना से बैंक में कुछ देर के लिए अफरातफरी की स्थिति हो गई। बता दें कि सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं का गलत इस्तेमाल करने के लिए बिहार में स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा ऐसे गलत पत्र खूब बनते है। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति में सरकार के करोड़ों रुपए संबंधित व्यक्ति तक नहीं पहुंच रहे हैं, उसका जनप्रतिनधियों और स्थानीय अधिकारियों के जरिए बंदरबांट किया जा रहा है।