ये हैं श्याम रजक, जिन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने के पहले ही सीएम नीतीश ने हटाया, RJD में शामिल

Published : Aug 17, 2020, 01:31 PM ISTUpdated : Aug 17, 2020, 01:34 PM IST
ये हैं श्याम रजक, जिन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने के पहले ही सीएम नीतीश ने हटाया, RJD में शामिल

सार

श्याम रजक बिहार की राजनीति का बड़ा दलित चेहरा हैं। बिहार में करीब 16 फीसदी वोटर दलित समाज से हैं। एक जमाने में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे। उनकी और राम कृपाल की जोड़ी राम-श्याम की जोड़ी कही जाती थी। पार्टी कोई भी हो, फुलवारी से लंबे समय से श्‍याम रजक ही जीतते रहे हैं। 

पटना (Bihar) । बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक आज अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे। लेकिन, इससे पहले ही उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया है। साथ ही उन्हें मंत्री पद से भी हटा दिया गया है। खबर है कि कल ही राज्यपाल फागु चौहान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुशंसा पर मुहर भी लगा दी थी। वहीं, नीतीश सरकार से हटाए गए मंत्री श्याम रजक ने आज राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ज्वॉइन कर लिया। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने श्याम रजक को पार्टी की सदस्यता दिलाई। 

श्याम रजक कौन हैं
श्याम रजक बिहार की राजनीति का बड़ा दलित चेहरा हैं। बिहार में करीब 16 फीसदी वोटर दलित समाज से हैं। एक जमाने में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे। उनकी और राम कृपाल की जोड़ी राम-श्याम की जोड़ी कही जाती थी। पार्टी कोई भी हो, फुलवारी से लंबे समय से श्‍याम रजक ही जीतते रहे हैं। करीब 25 साल और लगातार 1995 से फुलवारी के विधायक है। 2009 उपचुनाव को छोड़कर लगातार 6 बार विधानसभा चुनाव जीते।

लालू के करीबी नेताओं में थे शुमार
श्याम रजक एक समय में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। बिहार में राबड़ी देवी सरकार में श्याम रजक मंत्री भी बनाए गए थे। वही, आरजेडी में शामिल होने के बाद श्याम रजक ने कहा कि मैं अपने घर में वापस आकर भावुक हो रहा हूं। वापस आकर फिर से सामाजिक न्याय लड़ी जाएगी। मैंने जेडीयू में रहते हुए सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने की कोशिश की। लालू यादव ने हमेशा हमें सामाजित न्याय की लड़ाई लड़ने का पाठ पढ़ाया है।

ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश जी ने ठगा नहीं'
तेजस्वी यादव ने कहा कि सत्ताधारी दलों में नाराजगी है। चाहे सीएए हो, सीएए हो या ट्रिपल तलाक का मामला हो, या फिर ओबीसी के आरक्षण को खत्म करने की कोशिश हो। लेकिन, नीतीश कुमार सिर्फ कुर्सी के लिए हर समझौता कर रहे हैं। ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश जी ने ठगा नहीं। नाम गिनवाएंगे तो पूरी किताब भर जाएगी।
 

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