नाबालिग प्रेमी-प्रेमिका ने कर ली थी शादी,...लेकिन सबूत होते हुए भी इस कारण से कोर्ट ने कर दिया बरी

लड़के पर धारा 366ए के तहत नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने और शारीरिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप थे। ऐसे में उसे 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती थी। लड़की को नारी निकेतन भेजना पड़ता। इसका असर बच्चे की देखरेख पर भी पड़ता।

पटना (Bihar) । नाबालिग लड़के-लड़की ने भागकर शादी कर ली। लेकिन, लड़की के परिवार वाले उन्हें अलग करने के लिए कोशिश कर रहे थे। मगर, किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने शुक्रवार को इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नाबालिग लड़की को भगाकर शादी करने और शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी नाबालिग को सबूत होने के बाद भी बरी कर दिया। साथ ही नाबालिग दंपती को साथ रहने का आदेश भी दिया। बता दें कि साल 2019 में दोनों ने घर से भागकर शादी की थी। तक लड़के की उम्र करीब 17 साल और लड़की की उम्र 16 साल थी। जिसके बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं।

लड़की ने कहा- हां मैं अपनी मर्जी से भागकर की थी शादी
अगस्त 2019 को किशोरी ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया था कि वह अपनी मर्जी से लड़के के साथ भागी थी और शादी की थी। वहीं, किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी का मानना था कि 

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10 साल तक की हो सकती थी सजा 
लड़के पर धारा 366ए के तहत नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने और शारीरिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप थे। ऐसे में उसे 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती थी। लड़की को नारी निकेतन भेजना पड़ता। इसका असर बच्चे की देखरेख पर भी पड़ता।

इन वजहों से नाबालिग आरोपी को बरी किया
नाबालिग मां-बाप को अगर सजा दी जाती तो बच्चे का पालन-पोषण और संरक्षण ही नहीं, एक साथ तीन जिंदगियां प्रभावित होंगी।, आशंका भी थी कि इस मामले में ऑनर किलिंग हो सकती है और बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती थी।लड़के को सजा देने पर उसके माता-पिता भी लड़की और बच्चे को साथ रखने से मना कर सकते थे।किशोरी को कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं अपना सकता था क्योंकि वह एक बच्चे की मां बन चुकी थी।

इस कारण हुआ ऐसा, मगर नजीर नहीं बनेगा यह फैसला
किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने तगा कि दोनों के नाबालिग रहने के कारण यह शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है। किशोर को सजा हो सकती थी, लेकिन जज ने कहा है कि लड़की और उसके चार महीने के बच्चे के हित को देखते हुए यह आदेश दिया है। कोई पक्षकार दूसरे केस में ऐसे अपराध की गंभीरता कम करने के लिए इस फैसले का नजीर के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।

(प्रतीकात्मक फोटो

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