14 साल पुराने केस में लालू यादव के घर पर CBI रेड का नीतिश से बढ़ती नजदीकियां और जातिगत जनगणना तो वजह नहीं!

कहते हैं राजनीति में जो दिखता है वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी पूर्व सीएम राबड़ी देवी सहित उनके जुड़े लोगों के ठिकानों पर सीबीआई रेड को भी राजनीति पंडित इसी तरह से परिभाषित कर रहे हैं। 

पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के ठिकानों पर सीबीआई के रेड भले ही नौकरी घोटाले के आरोपों से जुड़े हों, लेकिन राजनीतिक पंडित इसका कुछ अलग नही मायने निकाल रहे हैं। जानकार मानते हैं कि नौकरी घोटाले से जुड़े आरोपों की जांच तो दिख रहा है लेकिन जो अदृश्य है वह है नीतिश कुमार व राजद के बीच बढ़ी नजदीकियां, जातीय जनगणना को कराने के लिए बनाया जा रहा दबाव।

नीतिश कुमार व तेजस्वी के साथ दिखने से असहज हो रही बीजेपी

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दरअसल, बिहार में भारतीय जनता पार्टी, नीतिश कुमार के जदयू के साथ गठबंधन की सरकार चला रही है। बीजेपी राज्य में नीतिश कुमार के भरोसे ही है। हालांकि, कई दशक के इंतजार के बाद बीजेपी को इस बार के विधानसभा चुनाव में फायदा हुआ लेकिन गठबंधन धर्म निभाते हुए नीतिश कुमार को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपनी पड़ी। हालांकि, दोनों दल गठबंधन में जरूर हैं लेकिन एक दूसरे को कमतर साबित करने या घेरने का मौका कभी चूकते नहीं है। 

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी ने आंतरिक तौर पर नीतिश कुमार को कमजोर कर दिया है। यह बात नीतिश कुमार भी जानते हैं। पिछले कुछ दिनों से जातीय जनगणना की मांग खूब उठ रही है। इस मुद्दे को राजद सहित कई राजनीतिक दल पूरी शिद्दत से उठा रहे हैं। इस मुद्दे पर नीतिश कुमार भी विपक्ष के खेमे में खड़े दिख रहे हैं। बीजेपी के गठबंधन साथी का विपक्ष के साथ किसी मुद्दे को लेकर खड़े होना, पार्टी के लिए असहज स्थिति साबित हो रही है। 

2015 में बीजेपी और नीतिश अलग लड़े लेकिन फिर मिलाया हाथ

पिछली बार जब नीतिश कुमार का जदयू और लालू प्रसाद यादव का राजद एक साथ चुनाव मैदान में थे तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। 2015 के बिहार चुनावों में भाजपा को नीतिश-लालू के गठबंधन ने बाहर कर दिया था। हालांकि, 2017 में नीतिश कुमार ने लालू प्रसाद यादव की पार्टी से गठबंधन तोड़ते हुए बीजेपी के साथ मिलकर फिर से सरकार बना ली थी।

2020 में नीतिश-बीजेपी साथ लेकिन संबंधों में आ चुकी है खटास

लेकिन 2020 के चुनावों के बाद से, जब नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) जूनियर पार्टनर के रूप में उभरी, मुख्यमंत्री कथित तौर पर भाजपा के साथ अपने संबंधों से नाखुश हैं। जाति-आधारित जनगणना के आह्वान में, उनके विचार भाजपा की तुलना में राजद के साथ कहीं अधिक पंक्तिबद्ध हैं क्योंकि दो स्थानीय दलों के वोटर्स इस मुद्दे के समर्थन में हैं। ऐसे में नीतिश कुमार और लालू यादव की पार्टियों के बीच बढ़ी नजदीकियां बीजेपी को खल रही है। राजद के कई नेता तो साफ आरोप लगा रहे हैं कि यह छापेमारी बीजेपी के सहयोगी के साथ बढ़ती नजदीकियों का नतीजा है। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, 'हम हैरान नहीं हैं बल्कि दुखी हैं कि जिस तरह से एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

नीतिश कुमार की पार्टी ने किया इनकार

हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी ने इन आरोपों का खंडन किया कि 16 स्थानों पर छापेमारी जाति जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से जुड़ी हुई थी। बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि छापे को जाति आधारित जनगणना से जोड़ना गलत है।

चारा घोटाले में जमानत के बाद लालू प्रसाद यादव पर नया केस

चारा घोटाला मामले में जमानत मिलने के हफ्तों बाद, लालू प्रसाद यादव पर 2004 और 2009 के बीच भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार के एक नए मामले में आरोप लगाया गया था, जब वह रेल मंत्री थे। सूत्रों ने बताया कि यादव के अलावा उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और परिवार के अन्य सदस्यों को नए मामले में आरोपी बनाया गया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि श्री यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने रेलवे की नौकरी देने के लिए रिश्वत के रूप में जमीन और संपत्ति प्राप्त की थी।

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