इन 4 वजह से 2.5 रेटिंग पर सिमटी 'हाउसफुल-4', सिर्फ गाना ही हो सका वायरल

अक्षय की फिल्म 'हाउसफुल 4' का फैंस को बेसब्री से इंतजार था। इस फिल्म का सॉन्ग 'बाला...' ने फैंस को मूवी देखने के लिए काफी एक्साइटेड कर दिया था। शुक्रवार 25 अक्टूबर को 'हाउसफुल 4' रिलीज की जा चुकी है, लेकिन अब इसे दर्शकों से खासा रिस्पांस मिल रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 25, 2019 12:45 PM IST / Updated: Oct 25 2019, 06:20 PM IST

कलाकार- अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, बॉबी देओल, कृति सेनन, कृति खरबंदा, पूजा हेगड़े, चंकी पांडे 
निर्देशक- फरहाद सामजी 
मूवी टाइप- कॉमिडी
ड्रामाअवधि- 2 घंटा 26 मिनट

मुंबई. अक्षय की फिल्म 'हाउसफुल 4' का फैंस को बेसब्री से इंतजार था। इस फिल्म का सॉन्ग 'बाला...' ने फैंस को मूवी देखने के लिए काफी एक्साइटेड कर दिया था। शुक्रवार 25 अक्टूबर को 'हाउसफुल 4' रिलीज की जा चुकी है, लेकिन अब इसे दर्शकों से खासा रिस्पांस मिल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में फिल्म को 5 में से महज 2.5 स्टार्स दिए जा रहे हैं। इससे पहले फिल्म को लेकर सोशल मीडिया मजाक उड़ाए जा रहे थे और तरह-तरह के मीम्स बनाए जा रहे थे। ऐसे में आपको बताते हैं कि मूवी को 2.5 स्टार मिलने की पांच वजह।

कहानी 

'हाउसफुल 4' की कहानी अच्छा नहीं बताया जा रहा है। फिल्म को लेकर फिल्म क्रिटिक्स तरण आदर्श ने ट्वीट किया कि इसकी कहानी कुछ खास नहीं है। कॉमिडी के कई नए-पुराने पंचेस के बावजूद कमजोर कहानी के कारण फिल्म हंसी का वो खजाना साबित नहीं हो पाती, जिसकी उम्मीद की गई थी।

डायरेक्शन

इसके साथ ही तरण आदर्श ने फिल्म के डायरेक्शन को भी ठीक नहीं बताया। निर्देशक फरहाद समसी ने कॉमिडी पैदा करने के लिए पुनर्जन्म और इस जन्म के किरदारों के बीच के कन्फ्यूजन का सहारा लिया। इसमें उन्होंने माइंडलेस कॉमिडी के साथ कई बचकाने पंच भी डाले हैं, जो अगर आप अतार्किक होकर देखें, तो आपको हंसाने में कामयाब रहती है, मगर पूरी तरह से बांधने में नाकाम। फर्स्ट हाफ बेहतर है, मगर सेकंड हाफ में कहानी झूलने लगती है।

एक्टिंग

वहीं, फिल्म में एक्टर्स की एक्टिंग को ओवरएक्ट बताया जा रहा है, लेकिन गंजे लुक में भी अपनी परफेक्ट कॉमिक टाइमिंग के कारण वे मनोरंजन करते हैं।

फिल्म की अवधि 

कहा जा रहा कि फिल्म की टाइमिंग भी जबरदस्ती खींची गई है। इसे 2 घंटे में ही खत्म किया जा सकता था। लंबी टाइमिंग के कारण फिल्म दर्शकों को उबाऊ लगने लगती है, जो कि दर्शकों को सीट से बांधे रखने में मदद नहीं करती है।

 

 

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