31 साल पहले आतंकियों के हाथों मारे गए पहले कश्मीरी पंडित को अनुपम खेर ने किया याद, कहा- न भूले हैं ना भूलेंगे

अनुपम खेर और फिल्ममेकर अशोक पंडित ने सोमवार को सोशल मीडिया के जरिए कश्मीर में 31 साल पहले आतंकवादियों के हाथों मारे गए पहले कश्मीरी पंडित टीका लाल टपलू को याद किया। टपलू की हत्या के बाद से ही घाटी में कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का दौर शुरू हो गया था। इस दिन को कश्मीरी हिंदू शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2020 3:39 PM IST / Updated: Sep 15 2020, 12:56 PM IST

मुंबई। अनुपम खेर और फिल्ममेकर अशोक पंडित ने सोमवार को सोशल मीडिया के जरिए कश्मीर में 31 साल पहले आतंकवादियों के हाथों मारे गए पहले कश्मीरी पंडित टीका लाल टपलू को याद किया। टपलू की हत्या के बाद से ही घाटी में कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का दौर शुरू हो गया था। इस दिन को कश्मीरी हिंदू शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

 

अनुपम खेर ने ट्वीट करते हुए लिखा, आज से 31 साल पहले 59 वर्षीय सोशल वर्कर श्री टीका लाल टपलू जी की आतंकवादियों द्वारा 14 सितंबर को श्रीनगर में हत्या कर दी गई थी।और यहाँ से शुरू हुआ था कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार का एक लंबा सिलसिला। ये घाव भले ही भर गए हों लेकिन भूले नहीं हैं और भूलने चाहिए भी नहीं। #KPMartyrsDay

 

फिल्म मेकर अशोक पंडित ने भी सोशल मीडिया के जरिए टपलू को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, 'मैं उन सभी कश्मीरी हिंदू भाई-बहनों को याद करते हुए  श्रद्धांजलि दे रहा हूं, जो कि भारतीय होने की वजह से कश्मीर में मारे गए थे। इसकी शुरुआत 14 सितंबर 1989 को हुई थी, जब कश्मीरी हिंदू टीका लाल टपलू को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उनके घर के सामने मार डाला था। #KPMartyrsday

 

अशोक पंडित ने एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें स्लाइड्स के जरिए कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी बताई गई है। उसमें बताया गया, '14 सितंबर 1989 बहुत सारे लोगों के लिए इस तारीख का कोई मतलब नहीं है, लेकिन निर्वासित कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों के लिए यह तारीख आतंकवादियों के हाथों हुए अत्याचारों की शुरुआत की निशानी है।

टीका लाल टपलू की हत्या और कश्मीरी पंडितों को भगाने के लिए मुजाहिद वाला नारा

बता दें कि पंडित टीका लाल टपलू एक जाने-माने वकील थे और एक प्रमुख राजनीतिक दल के कार्यकारी सदस्य थे। 14 सितंबर को घर के बाहर ही आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इस घटना ने वहां पीढ़ियों से शांति और सद्भाव से रह रहे पूरे समुदाय को झकझोर कर रख दिया था।

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