मुनव्वर राणा उर्दू के मशहूर शायर हैं। 2014 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। हालांकि दिल्ली के पास दादरी में हुई अखलाक की हत्या के बाद बने माहौल के चलते मुनव्वर राणा ने अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया था।
मुंबई। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में बॉलीवुड पहले से ही दो भागों में बंटा हुआ है और अब इसमें शायर मुनव्वर राणा भी शामिल हो गए हैं। मुनव्वर राणा ने हाल ही में ट्वीट के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा- 'मरना ही मुकद्दर है तो फिर लड़के मरेंगे, खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा।' मुनव्वर राणा के इस शेर पर फिल्ममेकर और डायरेक्टर अशोक पंडित ने करारा जवाब दिया है।
मुनव्वर राणा के शेर पर क्या बोले अशोक पंडित :
बॉलीवुड प्रोड्यूसर अशोक पंडित ने मुनव्वर राणा के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा- 'सच्चाई छुप नहीं सकती, बनावट के असूलों से, की खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागज के फूलों से!
मुन्नवर साहब इस देश में रहकर सारी तालियां बटोरने के बाद, आप मरने मारने की बात कर रहे हो! आप से तो यह उम्मीद न थी।
साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा चुके हैं मुनव्वर राणा :
मुनव्वर राणा उर्दू के मशहूर शायर हैं। 2014 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। हालांकि दिल्ली के पास दादरी में हुई अखलाक की हत्या के बाद बने माहौल के चलते मुनव्वर राणा ने अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया था।
ये हैं मुनव्वर राणा की प्रमुख रचनाएं :
मुनव्वर राणा की प्रमुख रचनाओं में मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया, बगैर नक्शे का मकान, फिर कबीर और नए मौसम के फूल प्रमुख हैं। मुनव्वर राणा की शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई। उनकी रचनाओं का उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।