बॉबी देओल के 'आश्रम' में दिखेगा आस्था, अपराध और राजनीति का खेल, बाबा राम रहीम की दिलाती है याद

प्रकाश झा के डायरेक्शन नें बनी वेब सीरीज 'आश्रम' को ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर रिलीज कर दिया गया है। इसमें बॉबी देओल ने निराला बाबा का रोल प्ले किया है। इस वेबसीरीज में आस्था के नाम पर मासूम लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने के खेल को दिखाया गया है।

मुंबई. प्रकाश झा के डायरेक्शन नें बनी वेब सीरीज 'आश्रम' को ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर रिलीज कर दिया गया है। इसमें बॉबी देओल ने निराला बाबा का रोल प्ले किया है। इस वेबसीरीज में आस्था के नाम पर मासूम लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने के खेल को दिखाया गया है। जब आप इस वेबसीरीज को देखेंगे तो ये बाबा राम रहीम की याद दिलाती है, लेकिन बाबा राम रहीम के जीवन पर आधारित नहीं है। बस कहानी उसी तरीके से लगती है। प्रकाश झा ने प्राइवेट स्कूल में बच्चों की पढ़ाई को लेकर बनाई गई फिल्म 'परीक्षा' के बाद एक बार फिर प्रासंगिक विषय को छुआ है। 

मीडिया रिपोर्ट्स में क्रिटिक्स की मानें तो प्रकाश झा की इस वेब सीरीज को 5 में से 2.5 स्टार दिए जा रहे हैं। आइए इसके पीछे की वजह के बारे में जानते हैं कि फिल्म का कौन-सा हिस्सा कमजोर दिखा।

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ठीक से नहीं हो पाया ट्रीटमेंट

'गंगाजल' जैसी फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा वेब सीरीज में राजनीति और पुलिस के मकड़जाल को दिखाने में चूक गए हैं। कसी स्क्रिप्ट के साथ फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा 'आश्रम' के साथ डेली सोप सा ट्रीटमेंट कर गए। कई जगहों पर एक-एक सीन चार से पांच के दिखाए गए हैं, जो कि एक से डेढ़ मिनट तक हो सकता था।  

बॉबी देओल नहीं दिखा पाए धूर्तता 

बॉबी देओल ने हाल ही में 'क्‍लास ऑफ 83' में जोरदार एक्टिंग की थी। पर यहां बाबा निराला के किरदार में वो खुद को ढाल नहीं पाए। ये किरदार हर तरह के गलत काम करता है, लेकिन उसकी क्रूरता को बॉबी सीन्स में नहीं ला पाए हैं। उनकी सौम्‍यता बाबा निराला की धूर्तता पर हावी दिखती है। बाकी किरदार भी प्रभावित नहीं कर पाते। इसकी वजह ये हो सकती है कि बॉबी का स्वभाव ही विनम्रता वाला है। इसलिए, ठीक से रम नहीं पाए। 

 

अन्य किरदार भी नहीं कर सके प्रभावित

उजागर सिंह सर्वण इंस्‍पेक्‍टर हैं और अक्‍खड़ हैं। दर्शन कुमार ने उसकी सामंती सोच को जाहिर करने की पूरी कोशिश की है। बाबा निराला के राइट हैंड भूपा स्‍वामी के रोल में चंदन रॉय सान्‍याल हैं। वहीं, पोस्‍टमॉर्टम करने वाली डॉक्‍टर नताशा की भूमिका अनुप्रिया गोयनका ने प्‍ले किया है। बाबा के बाद पूरी सीरीज में पम्‍मी व उसका भाई नजर आता है। उसे अदित पोहणकर और 'छिछोरे' फेम तुषार पांडे ने प्‍ले किया है। दोनों का काम अच्‍छा बन पड़ा है। बाकी किरदार असरहीन नजर आते हैं।

आश्रम में नहीं है कुछ नयापन 

संवाद संजय मासूम के हैं। वो मजाकिया हैं, जो उनकी ताकत है, पर पटकथा में कसावट कम है। कहीं भी रोमांच की अनुभूति नहीं है। जैसे-जैसे किरदार आते हैं, वैसे-वैसे कहानी के राज आसानी से खुलते जाते हैं। फर्जी बाबाओं की ताकत को जरूर प्रकाश झा बखूबी पेश कर पाए हैं, पर इसे नौ एपिसोड्स में क्‍यों बनाया गया है, वो समझ से परे है। हर किरदार और कहानी में आने वाले मोड़ ठीक वैसे हैं, जैसे फॉर्मूला फिल्‍मों में दिखते रहे हैं।

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