कैंसिल कल्चर पर गोविंद नामदेव बोले- 'फिल्ममेकर्स धार्मिक भावनाएं आहत करते हैं, फिर बॉयकॉट का रोना रोते हैं'

AsiaNet Exclusive Interview: शनिवार को अपना 68वां जन्मदिन मना रहे गोविंद नामदेव ने एशियानेट न्यूज से हुई इस एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने करियर और बॉलीवुड में इन दिनों चल रहे बॉयकॉट ट्रेंड पर बात की।

एंटरटेनमेंट डेस्क. चाहे वो 'बैंडिट क्वीन' का ठाकुर श्री राम हो या 'विरासत' का बिरजू ठाकुर, 'सरफरोश' का वीरन हो या 'ओह माय गॉड' के सिद्धेश्वर महाराज एक्टर गोविंद नामदेव ने जब भी कोई किरदार निभाया वो उसमें अपनी गहरी छाप छोड़ गए। यही वजह है कि भले ही आज उनके साथ के कई कलाकार घर बैठे हों पर गोविंद नामदेव आज भी अपने किरदारों और एक्टिंग से दर्शकों को एंटरटेन कर रहे हैं। आज अपना 68वां जन्मदिन मना रहे गोविंद नामदेव ने एशियानेट न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत की। पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ मुख्य अंश...

प्रश्न 1: कहा जाता है बॉलीवुड में टिके रहना आसान नहीं होता। आपके साथ के कई कलाकार आज गुमनाम हैं पर आप आज भी उतना ही काम कर रहे हैं। इसकी क्या वजह मानते हैं?
उत्तर:
मेरा मानना है कि हर एक्टर को अपने आप को रिवाइव करते रहना चाहिए। समय के हिसाब से खुद को तोलना और इवेल्यूएट करना बहुत जरूरी है। आज के समय की डिमांड के हिसाब से आपको अपने काम करने का तरीका भी बदल देना चाहिए। आज के दौर का दर्शक क्या चाहता है वह हमें पता होना चाहिए। फिर वहीं किरदार में लाना जरूरी है। दूसरी बात यह है कि हर एक्टर का एक किरदार निभाने का अपना तरीका होता है। हर एक्टर को सोचना चाहिए कि किरदार में इमोशंस के कितने रंग आने चाहिए और जो वो किरदार कर रहा है वो कैसे निखर के आएगा। मेरी हमेशा से कोशिश रही है कि मैं जब भी स्क्रीन पर आऊं तो दर्शक गोविंद नामदेव को भूल जाएं। वो सिर्फ मेरे उस किरदार को याद रखे जिसे में परदे पर निभा रहा हूं। यही वजह है कि मैं आज तक टिका हूं और लोग आज भी मेरा काम पसंद करते हैं। चाहे ठाकुर श्री राम का किरदार हो या फिर प्रेम ग्रंथ का रूप सहाय ले लो, मैंने हमेशा खुद को भुलाकर सिर्फ अपने किरदार पर फोकस किया है तब कहीं जाकर वो किरदार जीवंत लगे और आज तक लोगों को याद हैं। 

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प्रश्न 2: उम्र के इस पड़ाव में जिस तरह के रोल मिल रहे हैं। उनसे संतुष्ट हैं?
उत्तर:
आज मैं खुद अचंभित हूं कि लोग मेरे अंदर किस-किस तरह के किरदार देख रहे हैं। हाल ही में मैंने एक प्रोजेक्ट के लिए हिटलर का किरदार किया जो मैं करना चाहता था। हालांकि, यह हिटलर की जीवनी नहीं हैं। हाल ही में विकी कौशल की फिल्म 'सैम बहादुर' की शूटिंग की इसमें सरदार पटेल का किरदार निभाया। फिर एक अन्य प्रोजेक्ट के लिए मोरारजी देसाई का रोल भी प्ले किया तो ये सभी वो किरदार हैं जो मैं हमेशा से करना चाहता था।

प्रश्न 3: आपने भी साउथ में खूब काम किया है। आपके हिसाब से वहां का काम बॉलीवुड से बेहतर क्यों आंका जा रहा है?
उत्तर:
वहां काम बहुत अनुशासित रूप से किया जाता है। 7 बजे की शिफ्ट पर सुबह साढ़े 4 बजे से काम शुरू हो जाता है। और यह आज की बात नहीं है। ऐसा वहां हमेशा से ही होता आ रहा है। दूसरा उनकी कहानियां और काम करने का तरीका भी ओरिजिनल है। एक दौर था जब बॉलीवुड में कहानी लिखने से पहले ही हीरो साइन कर लिया जाता था। एक तरफ गाने शूट हो रहे होते थे और दूसरी तरफ फिल्म की कहानी लिखी जा रही होती थी, तो इस तरह की कई चीजें देखी हैं हमने। अब जाकार कहीं बॉलीवुड थोड़ा सा अपने काम को लेकर सीरियस हुआ है। हालांकि, अभी यह डिसिप्लिन राजकुमार हिरानी, संजय लीला भंसाली और मेघना गुलजार जैसे डायरेक्टर्स में ही आया है और इसी वजह से ये आज भी सफल हैं। ये सभी इसलिए हिट हैं क्योंकि ये अपनी कहानी और फिल्मों को अच्छा-खासा वक्त दे रहे हैं। 

प्रश्न 4: बॉयकॉट कल्चर के किस तरह देखते हैं? इसकी बड़ी वजह क्या मानते हैं?
उत्तर:
कुछ वजहें तो वाजिब मानी जा सकती हैं जिसमें पहली यह है कि बॉलीवुड में हिंदू देवी देवताओं का हमेशा मजाक बनाया गया है। अब जब आप देख रहे हैं कि आज का दर्शक समझदार हो गया है वो समझ जाता है कि आप क्या गलत और क्या सही पेश कर रहे हैं तो कम से कम अभी तो आप ऐसी फिल्में बनाना बंद कर देनी चाहिए जिनसे दर्शकों की भावनाओं को ठेस पहुंचे। जब हम उन्हीं दर्शकों के लिए फिल्म देख रहे हैं तो कम से कम उनका टेस्ट क्या है वो तो देखिए। वहीं दूसरी तरफ जब आपको ऐसी फिल्में बनाने के लिए मना किया जा रहा है तो आप यह रोना लेकर बैठ जाते हैं कि हमें फिल्म बनाने की आजादी नहीं है। अरे, किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की आजादी थोड़ी न दी जाएगी। इसके अलावा कई कलाकार ऐसे है जो खुद को एकदम किंग समझते हैं। ये दर्शकों के सामने कई तरह की बदतमीजी भरे बयान दे रहे हैं, जिसका नुकसान बाद में इनकी फिल्मों को उठाना पड़ता है। इसके अलावा मेरा मानना है कि बॉलीवुड जब तक फिर से फैमिली फिल्में बनाना शुरू नहीं करेगा तब तक इसके मुश्किलें कम नहीं होंगी। यह सोचना जरूरी है कि हम सिर्फ पैसे कमाने वाले एक्टर्स या फिल्ममेकर्स नहीं हैं। हमारी समाज के प्रति भी एक जिम्मेदारी भी है। 

प्रश्न 5: ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से आपकी लाइफ में कितने बदलाव आए?
उत्तर:
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर शुरुआती दौर में कोई अंकुश नहीं था। इस दौरान उन्होंने खूब सेक्स पेश किया। आज जब बॉयकॉट कल्चर चल रहा है तो ओटीटी वाले भी बेहतर कहानियां खोज रहे हैं। वे अपने राइटर्स से साफ कह रहे हैं कि हमें ऐसी कहानियां दो जिनसे हम लोगों से कनेक्ट कर सकें। बाकी ओटीटी के आने के बाद से जो कलाकार ऐसे थे जिन्हें काम तो आता था पर अच्छे मौके नहीं मिलते थे। उनके लिए यह एक वरदान साबित हुआ है।

प्रश्न 6: देश-विदेश में कई अवॉर्ड मिले पर अब तक बॉलीवुड से कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला। इसे लेकर कोई मलाल रहा?
उत्तर:
ऐसा नहीं है कि मुझे बॉलीवुड से अवॉर्ड नहीं मिले। स्क्रीन अवॉर्ड्स मिले हैं। कईयों बार मुझे फिल्मफेयर अवॉर्ड में नॉमिनेशन मिल भी। पर अब क्या बोलूं सभी जानते है कि इन अवॉर्ड्स में क्या-क्या होता है। कैसे और किसे से अवॉर्ड्स मिलते हैं। कई बार तो एकदम ऐसा लगा कि इस बार तो यह अवॉर्ड मुझे ही मिलेगा पर वो मेरी झोली में नहीं आया। कुछ वक्त बाद समझ आया कि ये अवॉर्ड एक्टिंग की वजह से नहीं मिलते। इनको हासिल करने का कोई और ही तरीका है। तब फिर मेरा मन उचट गया। आज मुझे बॉलीवुड से कोई अवॉर्ड न मिलने का कोई गम नहीं है। दर्शकों का प्यार ही मेरा असली अवॉर्ड है।

प्रश्न 7: 3 सितंबर को आप अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इन 68 सालों में आपके कई दोस्त रहे होंगे। बॉलीवुड में आपका बेस्ट फ्रेंड कौन है?
जवाब:
बॉलीवुड में भावनात्मक रूप से कोई दोस्त नहीं होता। यह एक बड़ी ही प्रोफेशनल फील्ड है यहां की आवोहवा ऐसी है कि यहां आकर आपके कई अंतरंग मित्र भी बदल जाते हैं। बाकी अनुपम खेर हैं और सतीश कौशिक हैं जो मेरे काफी अच्छे दोस्त रहे हैं। बात करूं जन्मदिन की तो इसे तो पूरे परिवार के साथ मनाऊंगा। हम सभी बाहर निकल जाएंगे और इस दिन को सेलिब्रेट करेंगे।

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