Exclusive Interview with Sanjay Mishra: 'अब कोई मुझे कैमरा पकड़ा दे तो मैं कुछ दिनों के लिए एक्टिंग छोड़ दूं'

इस साल अब तक '36 फार्महाउस', 'बच्चन पांडे' और 'भूल भुलैया 2' जैसी फिल्मों में नजर आए संजय मिश्रा हाल ही में रिलीज हुई 'वो 3 दिन' में नजर आ रहे हैं। पढ़िए उनसे हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के कुछ अंश...

एंटरटेनमेंट डेस्क. अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में कई अवॉर्ड्स जीतने के बाद संजय मिश्रा की फिल्म 'वो तीन दिन' शुक्रवार को देशभर के चुनिंदा थिएटर्स में रिलीज हुई। छोटे बजट में बनी इस फिल्म की कहानी शुरु होती है उत्तर प्रदेश के एक गांव से, जहां बड़े दिल वाले रिक्शा चालक रामभरोसे अपनी आजीविका कमाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। कहानी रामभरोसे के जीवन के ही 3 दिनों के बारे में है। फिल्म में रामभरोसे का किरदार खुद संजय मिश्रा ही निभा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एशिया नेट न्यूज से एक्सक्लूसिव बात करते हुए इस फिल्म से जुड़ी कई बातें साझा की...

Latest Videos

Q. वो तीन दिन की कहानी में ऐसा क्या खास देखा जो इसे करने के लिए तैयार हो गए?
A.
'वो तीन दिन' की कहानी में सबसे पहले हमारे डायरेक्टर राज आशू थे। जब उन्होंने हमें यह कहानी समझाई तो मुझे बहुत पसंद आई। दूसरा वो एक डायरेक्टर से पहले एक म्यूजिशियन हैं तो एक म्यूजिशियन का क्या हिसाब होगा फिल्म बनाने का यह भी देखना चाहता था। इतना कन्फर्म था कि राज इस फिल्म को खूबसूरत तो बनाएंगे। कई बार कुछ फिल्में ऐसी होती हैं कि डायरेक्टर बनाना कुछ और चाहते थे और बन कुछ और जाती है पर हम इस फिल्म को जैसा चाहते थे ये ठीक वैसे ही बनी है।

Q. किसी भी किरदार की तैयारी करने का आपका क्या प्रोसेस होता है?
A.
कोई भी विधा एकाएक नहीं पता चलती। जब आप प्रैक्टिस करते रहते हैं तो एक्सपीरियंस आता है और उसी से निखार आता है। मेरा मानना है कि किसी भी एक्टर के अंदर हर किरदार हर रंग में बसने की क्षमता होनी चाहिए। एडेप्टेबिलिटी होगी तो वो हर तरह के किरदार के लिए तैयारी कर सकता है।

Q. अभिनय, निर्देशन और एनिमेटेड किरदारों को आवाज देने के बाद अब आप गाना भी गा रहे हैं। और कौन से टैलेंट छिपे हैं? 
A.
मुझे कैमरा पकड़ने की बड़ी इच्छा है। कोई हिम्मत वाला प्रोड्यूसर हो जो मुझसे कहे कि मैं उसकी फिल्म के लिए कैमरा हैंडल करूं तो कुछ दिनों के लिए एक्टिंग छोड़कर कैमरा चलाना चाहता हूं। मेरा मानना है कि सिनेमा आपके खून में होना चाहिए। गुरु दत्त के बारे में कहा जाता था कि अगर कोई आर्टिस्ट थोड़ा लेट हो जाए तो गुरु दत्त थोड़ा इंतजार करते थे और फिर खुद वो ही काम करने लगते थे। म्यूजिक में राज कपूर को देख लीजिए। सुभाष घई और सत्यजीत रे ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके खून में सिनेमा है। तो मेरा मामला भी ऐसा ही है। जब कोई जो करवा लेता है मैं कर लेता हू्ं। मैं जब बंबई आया भी था तो यह कतई नहीं था कि मुझे हीरो बनना है। बस इतना पता था कि यही लाइन है मेरी। जो करने को कहा जाएगा मैं कर लूंगा।

Q. आप एक फिल्म डायरेक्ट कर रहे थे 'प्रणाम वालेकुम'। उसका क्या हुआ?
A.
कभी-कभी टेक्नीकली दो लोगों में सहमति नहीं बन पाती तो फिल्म अटक जाती है। वो फिल्म ऐसी ही किसी सिचुएशन में फंसी हुई है। और अभी शायद में उस तरफ जाना भी नहीं चाहूंगा क्योंकि अभी मेरा घोड़ा एक्टिंग में अच्छा खासा दौड़ रहा है तो इन दिनों में एक्टिंग का लुत्फ उठा रहा हूं।

Q. क्या आप मानते हैं कि कोई भी थिएटर आर्टिस्ट जब तक कमर्शियल सिनेमा में नहीं आता तब तक उसे पहचान नहीं मिलती?
A.
कोई भी आर्टिस्ट जब कमर्शियल सिनेमा में जाएगा तो पहचान तो मिलेगी है। ये तो ऑब्यस है। घर पर बैठकर अमरूद बेचेंगे और बाजार में बेचेंगे तो दोनों में फर्क तो आएगा ही न। चाहे पकंज त्रिपाठी हों, सौरभ शुक्ला हों, नवाजुद्दीन सिद्दीकी हों या मैं हूं। आज हम सभी की अपनी एक अलग पहचान है और अपनी एक अलग फैन फॉलोइंग है। 

Q. आज के दौर में फिल्म प्रमोशन को कितना जरूरी मानते हैं?
A.
उतना ही जितना जब आप बढ़िया खाना बनाकर आप किसी को खिलाकर तारीफ लेते हैं। आज की डेट में हर फिल्म वाले और हर उद्योग की जरूर हो गई है प्रमोशन क्योंकि आप क्या कर रहे हैं जब तक किसी को बताएंगे नहीं तब तक पता कैसे चलेगा। बस फर्क इतना है कि हर दौर के प्रमोशन का तरीका अलग होता आया है। एक किस्सा बताता हूं, मेरी फिल्म 'कड़वी हवा' का कोई पोस्टर नहीं लगा था तो एक साहब का मुझे कॉल आया बोले- कमाल है पूरे जुहू में तुम्हारी फिल्म का कोई पोस्टर नहीं लगा है तो मैंने भी उनसे कहा कि आजकल पोस्टर देखता कौन है ? हर आदमी तो फोन में घुसा हुआ है। और आज मैं अपने डायरेक्टर धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरी फिल्म 'वो 3 दिन' से मेरे डायरेक्टर पोस्टर कल्चर को वापस लेकर आ रहे हैं।

खबरें ये भी...

ऋतिक रोशन ने गर्लफ्रेंड सबा आजाद संग दिए कपल गोल्स, एक्ट्रेस ने 'विक्रम वेधा' को लेकर फैंस से की यह अपील

68th National Film Award 2022: 'सोरारई पोटरु' ने अपने नाम किए 5 अवॉर्ड, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता रहे अजय और सूर्या

असल 'विक्रम-वेधा' से यहां मात खा गए ऋतिक-सैफ, अगर देखी है ओरिजिनल फिल्म तो इन बातों से होंगे सहमत

Vikram Vedha Review: ऋतिक चमके पर फीके रहे सैफ, जानिए फिर कौन है फिल्म का असली हीरो

 

Share this article
click me!

Latest Videos

जेल से बाहर क्यों है Adani? Rahul Gandhi ने सवाल का दे दिया जवाब #Shorts
'मणिपुर को तबाह करने में मोदी साझेदार' कांग्रेस ने पूछा क्यों फूल रहे पीएम और अमित शाह के हाथ-पांव?
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो
Sanjay Singh: 'डूब गए देश के लोगों के लगभग साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए' #Shorts
UP bypoll Election 2024: 3 सीटें जहां BJP के अपनों ने बढ़ाई टेंशन, होने जा रहा बड़ा नुकसान!