कंगना रनोट की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने सिख समुदाय के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
मुंबई. कंगना रनोट (Kangana Ranaut) की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। हाल ही में उन्होंने पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा कृषि कानून वापस लिए के फैसले का विरोध किया और अपना बयान जारी किया था तो उनकी खूब आलोचना हुई थी। अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने सिख समुदाय के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। समिति द्वारा मंदिर मार्ग थाने के साइबर सेल में दर्ज कराई गई है। समिति का कहना है कि सोशल मीडिया पर हाल में किए गए अपने पोस्ट में कंगना ने जानबूझकर किसानों के प्रदर्शन को खालिस्तानी आंदोलन बताया था। उन्होंने सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का उपयोग किया। कमेटी ने कहा- सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर वो पोस्ट तैयार किया और आपराधिक मंशा से उसे शेयर किया गया। इसलिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।
खुश नहीं कंगना रनोट
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला से कंगना रनोट खुश नहीं है। कंगना ने अपना गुस्सा सोशल मीडिया के जरिए जाहिर किया। कंगना ने कृषि कानूनों को वापस लेने पर इसको दुखद और शर्मनाक बताते हुए कहा कि मोदी सरकार का ये फैसला पूरी तरह से अनुचित है। कंगना ने अपनी इंस्टा स्टोरी स्टोरी पर स्क्रीन शॉर्ट शेयर कर लिखा था- दुखद, शर्मनाक और सरासर गलत। अगर संसद में चुनी हुई सरकार की जगह सड़कों पर लोगों ने कानून बनाना शुरू कर दिया... तो यह भी एक जिहादी राष्ट्र है। उन सभी को बधाई जो इसे इस तरह चाहते थे। वहीं, उन्होंने दूसरी पोस्ट में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की फोटो शेयर कर लिखा- अगर देश की अंतरात्मा ही गहरी नींद में है तो लठ्ठ ही एकमात्र समाधान है और तानाशाही ही एकमात्र संकल्प है। जन्मदिन मुबारक हो प्रधानमंत्री जी। आज इंदिरा गांधी की 104वीं जयंती है।
भीख में मिली आजादी वाले बयान पर हुई आलोचना
कंगना रनोट देश को भीख में मिली आजादी वाले अपने बयान को लेकर चर्चा में बनी हुई है। इस बयान की वजह से उन्हें क्रिटिसाइज किया जा रहा है। हाल ही में गीतकार जावेद अख्तर ने उनपर निशाना साधते हुए तंज कसा था। उन्होंने ट्वीट के जरिए अपनी बात कही है। हालांकि, उन्होंने अपने ट्वीट में कंगना का नाम नहीं लिखा है, लेकिन उनका इशारा उन्हीं की तरफ है। उन्होंने लिखा था- यह पूरी तरह से समझ में आता है। क्योंकि जिन लोगों का स्वतंत्रता आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था… अगर कुछ लोग देश की आजादी को सिर्फ एक 'भीख' बता रहे हैं तो उन्हें बुरा क्यों लग रहा है। बता दें कि कंगना ने 1947 में मिली आजादी और हिंसा का जिक्र करते हुए कहा था कि वो आजादी नहीं थी बल्कि भीख थी। जो आजादी मिली है वो 2014 में मिली जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।
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