Lata Mangeshkar का खाना पहले मजरुह सुल्तानपुरी चखते थे, इसके बाद वह खाती थी, जानिए क्यों

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के बारे में यह तथ्य कम लोगो को पता होगा कि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर (Dinanath Mangeshkar) नहीं चाहते थे कि बेटी फिल्मों में गाना गाए। उनकी शानदार आवाज में गाए हुए गाने आज भी सुनने वालों का दिल जीत लेते हैं। उनकी आवाज के दीवाने सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में हैं।  ऐसे ही लता जी से जुड़े कई और सुने-अनसुने किस्से हैं, जिनके बारे आपको जानना चाहिए। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2022 5:06 AM IST

नई दिल्ली। सुर साम्राज्ञी और हिंदी फिल्मों की मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज का जादू हर किसी के सिर चढ़कर बोलता है। उनकी शानदार आवाज में गाए हुए गाने आज भी सुनने वालों का दिल जीत लेते हैं। उनकी आवाज के दीवाने सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में हैं। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत कष्ट सहे। बीते करीब डेढ़ महीने से उनकी तबीयत खराब थी। 28 दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीच-बीच में उनके स्वास्थ्य में सुधार होता, मगर तबीयत फिर अचानक बिगड़ जाती। अब वह हमारे बीच नहीं हैं। मगर उनके गाए हुए गाने उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए अमर बनाए रहेंगे।  लता जी ने विभिन्न भाषाओं में करीब 30 हजार गाने गाए हैं। 

लता मंगेशकर के लिए जो खाना बनता था, उसे पहले वह नहीं खाती थीं। सबसे पहले मजरुह सुल्तानपुरी इसे चखते थे और तब वह खाती थीं। इसकी भी एक वजह थी। दरअसल, लता जी जब 33 साल की थीं, तब उन्हें मारने की कोशिश हुई। किसी ने उनके खाने में जहर मिला दिया था। इस तथ्य का जिक्र लता मंगेशकर की दोस्त पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ऐसा कहां से लाऊं में किया है। 

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जिंदगी के सबसे बुरे दौर में से एक था वह समय 
यह घटना 1963 की है। तब लता मंगेशकर को खाना खाने के बाद उल्टियां हो रही थीं। डॉक्टर ने जांच करने के बाद बताया कि उन्हें धीमा जहर दिया गया है। वैसे, लता मंगेशकर ने भी इस कुछ समय बाद यह कहा था कि हम मंगेशकर्स इस बारे में चर्चा नहीं करते। यह जिंदगी के सबसे बुरे दौर में से एक था। उन्होंने बताया था कि उस बीच उन्हें इतनी कमजोरी का अहसास होता कि उन्हें बिस्तर से उठने में भी परेशानी होती थी। हालांकि, यह हरकत किसकी थी, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है। 

घटना के बाद कई तरह की चीजों को लेकर अफवाहें भी उड़ाई गईं 
वहीं, तब यह चर्चा भी उठी कि डॉक्टरों की टीम ने जांच के बाद कह दिया था कि वह फिर कभी गा नहीं पाएंगी। लता मंगेशकर इसे गलत बताते हुए कहती हैं कि यह सही नहीं था। यह काल्पनिक बातें थीं, जो उन्हें दिए गए धीमे जहर के बाद के घटनाक्रम को लेकर अफवाह के तौर पर उड़ाई गई थी। 

बचपन में उठाना पड़ा पांच भाई-बहनों की परवरिश का बोझ
लता मंगेशकर के पिता उन्हें कम उम्र में ही छोड़कर इस दुनिया से चले गए। वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके अलावा बहन मीना, आशा, उषा और भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर हैं। सभी का बोझ उन्होंने बचपन में ही अपने कंधे पर उठा लिया था। परिवार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए उन्होंने फिल्मों और थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। 

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लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था। वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था। वह शास्त्रीय संगीतज्ञ और रंगमंच के मशहूर कलाकार थे। उनका देहांत वर्ष 1942 में हुआ था। इसके बाद बहन मीना, उषा और आशा तथा भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर की परवरिश की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। लता मंगेशकर ने करीब 30 हजार फिल्मों में गाना गया था। उन्हेंने अंतिम गाना वर्ष 2011 में सतरंगी पैराशूट गाया था। उन्होंने दस फिल्मों में गाना गाया, जिसमें बड़ी मां, जीवन यात्रा जैसी मशहूर फिल्में भी शामिल हैं।  
 

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