सीएम शिवराज ने कहा कि इंदौर में लता जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। लता दीदी केवल संगीत जगत की रोशनी नहीं थी बल्कि देशभक्ति का भी ऐसा हस्ताक्षर थीं, जिनसे पूरा देश प्रेरणा लेता था। लता जी के जन्मदिन पर हर साल लता मंगेशकर पुरस्कार दिया जाएगा।
भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeskar) के नाम से संगीत अकादमी बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भोपाल में इसका ऐलान किया है। लता दीदी को श्रद्धांजलि देते हुए सीएम शिवराज ने उनके नाम पर पौधरोपण किया और ऐलान किया कि लता जी का जन्म इंदौर में हुआ था। हमने फैसला किया है कि इंदौर में लता जी के नाम से संगीत अकादमी स्थापित की जाएगी। संगीत महाविद्यालय में बच्चे सुरों की साधना कर सकेंगे। इंदौर में उनके गीतों का संग्रहालय भी बनाया जाएगा। साथ ही लता जी की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।
हर साल जन्मदिन पर पुरस्कार
सीएम शिवराज ने कहा कि इंदौर में लता जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। लता दीदी केवल संगीत जगत की रोशनी नहीं थी बल्कि देशभक्ति का भी ऐसा हस्ताक्षर थीं, जिनसे पूरा देश प्रेरणा लेता था। लता जी के जन्मदिन पर हर साल लता मंगेशकर पुरस्कार दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि लता दीदी का जाना, करोड़ों भारतीयों की अनुभूति है कि उनकी व्यक्तिगत क्षति है। उनके गीत हम सभी के जीवन में नव उत्साह और ऊर्जा का संचार करते थे। मेरे जीवन में ऐसी रिक्तता आई है, जिसकी भरपाई संभव नहीं।
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एमपी में लता अलंकरण पुरस्कार
बता दें कि मध्यप्रदेश में संगीत और कला के क्षेत्र में अभिनव योगदान के लिए लता अलंकरण पुरस्कार दिया जाता है। लता दीदी 1983 में इंदौर में प्रस्तुति देने आई थीं। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उनके नाम से यह सम्मान शुरू करने की घोषणा की थी। राष्ट्रीय स्तर का यह पहला ऐसा सम्मान है, जो किसी कलाकार के जीवित रहते उसके नाम पर शुरू किया गया। एक साल गायक और एक साल संगीतकार को दिया जाता रहा है। सबसे पहले 1984 में नौशाद को लता अलंकरण सम्मान मिला था।
6 फरवरी को निधन
6 फरवरी रविवार को लता दीदी इस दुनिया से विदा होकर चली गईं। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें 8 जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 92 साल की लता ताई तभी से ICU में थीं। रविवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। लता दीदी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। वे सात साल की उम्र तक इंदौर में रहीं। इसके बाद मुंबई चली गईं लेकिन इंदौर को कभी नहीं भूलीं। उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ बेहद पसंद थे। इंदौर के लोगों से मिलकर वे बहुत खुशी जाहिर करतीं थीं।
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