92 साल पहले इंदौर के सिख मोहल्ले में हुआ था लता जी का जन्म, जिस घर में बीता बचपन आज वहां है कपड़े का शो-रुम

लता जी अक्सर इंदौर आया करती थीं और उन्हें यहां के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ काफी पसंद थे। चाट गली और सराफा वे आती थीं और लोगों से घुल-मिल जाती थीं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2022 6:03 AM IST

इंदौर : करोड़ों दिलों पर अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) जी अब हमारे बीच नहीं हैं। 92 साल की उम्र में रविवार को उनका निधन हो गया। उनके निधन से देश-दुनिया के साथ ही उनके जन्मस्थान इंदौर में शोक फैल गया है। भारत रत्न लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर शहर में हुआ था। इसीलिए उनका यहां से गहरा लगाव भी था। वे समय-समय पर इंदौरवासियों से यहां का हाल-चाल लेती रहती थीं।

सिख मोहल्ले में बीता बचपन
इंदौर के सिख मोहल्ले में लता जी का परिवार रहता था। उनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था। 28 सितंबर, 1929 को लता जी का जन्म हुआ था। मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी लता जी का भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। यहां उनका चाल की तरह घर था, जिसमें परिवार के सभी सदस्य रहते थे।

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आज कपड़े का शो-रुम है 
जब लता जी का परिवार इंदौर से चला गया तो उनके घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीद लिया। कुछ समय तक मुस्लिम परिवार यहां रहा और फिर इसे बलवंत सिंह नाम के शख्स को बेच दिया। यह परिवार भी यहां काफी समय तक रहा और उसने भी इस घर को मेहता परिवार को सौंप दिया। जिसके बाद घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोला गया। इस शो-रूम का संचालन नितिन मेहता और स्नेहल मेहता करते हैं। उनका कहना है कि सिंह परिवार को उन्होंने मुंहमांगी कीमत देकर यह घर खरीद लिया था। 

लता जी के आशीर्वाद से खुलता है शोरूम
नितिन मेहता और स्नेहल मेहता बताते हैं कि लता जी के इस घर से उन्हें काफी लगाव है। उन्होंने इसी तरह इसको बनवाया भी है। वे हर दिन जब भी शो-रुम खोलते हैं तो लताजी का आशीर्वाद लेते हैं इसके लिए उन्होंने दुकान के एक हिस्से में लताजी का म्यूरल बनवाया है। वे कहते हैं कि उनका लता जी से अलग सा लगाव है।

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रंगमंच के कलाकार थे लता जी के पिता  
लताजी इंदौर में अपने पिता के साथ रहा करतीं थीं। पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे। इस वजह से परिवार में शुरुआत से ही संगीत का माहौल था। जब लता सात साल की थीं तब वे महाराष्ट्र आईं। लता ने पांच साल की उम्र से पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था। 

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जलेबी पसंद करती थीं लता जी
कहा जाता है कि आवाज की फिटनेस के लिए लता जी बबल गम खाती रहती थीं लेकिन उन्हें जलेबी बहुत पसंद थी। लता जी अक्सर इंदौर आया करती थीं और उन्हें यहां के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ काफी पसंद थे। चाट गली और सराफा वे आती थीं और लोगों से घुल-मिल जाती थीं।

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