इस एक्टर का बेटा भी हुआ खेमेबाजी का शिकार, कई फिल्मों से निकाला गया, दुखी मन से सुनाया पिता ने किस्सा

फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नेपोटिज्म से परेशान सेलेब्स आए दिन अपनी बात कहने के लिए सामने आ रहे है। सुशांत मामले में सीबीआई जांच की मांग करने के एक दिन बाद शेखर सुमन ने अपने बेटे अध्ययन सुमन को लेकर कई राज खोले। उन्होंने कहा कि उनका बेटा भी इसी तरह के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा- बॉलीवुड में खेमेबाज स्ट्रांग हैं। अध्ययन को दो तीन फिल्मों के बाद तकरीबन 14 फिल्में ऑफर की गई, लेकिन कोई ना कोई बहाना बनाकर उन फिल्मों से हटा दिया गया। वह भी डिप्रेशन में है और उसी अवस्था से गुजर रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 28, 2020 12:16 PM IST

मुंबई. सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या मामले के बाद फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नेपोटिज्म से परेशान सेलेब्स आए दिन अपनी बात कहने के लिए सामने आ रहे है। इतना ही नहीं सुशांत के फैन्स से सोशल मीडिया पर करन जौहर, सलमान खान, संजय लीला भंसाली, यशराज फिल्म्स, भूषण कुमार जैसों पर नेपोटिज्स को लेकर खूब निशाना साधा। सुशांत मामले में सीबीआई जांच की मांग करने के एक दिन बाद शेखर सुमन ने अपने बेटे अध्ययन सुमन को लेकर कई राज खोले। उन्होंने कहा कि उनका बेटा भी इसी तरह के दौर से गुजर रहा है। 


मेरा बेटा भी डिप्रेशन में है-शेखर
शेखर ने एक एंटरटेनमेंट पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कहा- सुशांत उनके बेटे की तरह था। मैं उसके पिता का दर्द महसूस कर सकता हूं क्योंकि उसकी तरह ही मेरा बेटा अध्ययन भी डिप्रेशन में है और उसी अवस्था से गुजर रहा है। फिल्म इंडस्ट्री ने उसके लिए कई बाधाएं खड़ी की। एक बार उसने मुझसे कहा कि उसके दिमाग में आत्महत्या करने का विचार आ रहा है। उन्होंने कहा कि कहीं बेटा गलत कदम ना उठा लें और इसी वजह से वह अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ते हैं।


इंडस्ट्री में खेमेबाजी
उन्होंने कहा- बॉलीवुड में खेमेबाज स्ट्रांग हैं। कुनबा परस्ती को उन सब लोगों ने बनाया है, जिनके पास पैसा है, नाम है, जिनकी फिल्में आम लोग देखते हैं, जो मुकाम पर पहुंच चुके हैं। ऐसे चंद लोग आपस में मिले हुए हैं। अध्ययन को दो तीन फिल्मों के बाद तकरीबन 14 फिल्में ऑफर की गई, लेकिन कोई ना कोई बहाना बनाकर उन फिल्मों से हटा दिया गया। इस तरह से अध्ययन को दो-तीन साल खाली रखा गया। कोई फिल्म अध्ययन नहीं कर पाया। फिर इंप्रेशन यह बन गया प्रोड्यूसर्स के बीच कि उसमें कोई कमी है। तभी उनके हाथ में फिल्म नहीं है। 
 

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