सोनू सूद ने चमोली हादसे में मारे गए शख्स की 4 बेटियों को लिया गोद, पढ़ाई से शादी तक का खर्च उठाएगा एक्टर

कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान गरीब और प्रवासी मजदूरों की मदद करने वाले सोनू सूद (Sonu Sood) एक बार फिर चर्चा में हैं। सोनू ने अब उत्तराखंड के चमोली में 7 फरवरी को आई बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वाले एक शख्स की 4 बेटियों को गोद लिया है। सोनू सूद अब उनकी पढ़ाई से लेकर शादी तक का हर खर्च उठाएंगे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2021 3:19 PM IST

मुंबई। कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान गरीब और प्रवासी मजदूरों की मदद करने वाले सोनू सूद (Sonu Sood) एक बार फिर चर्चा में हैं। सोनू ने अब उत्तराखंड के चमोली में 7 फरवरी को आई बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वाले एक शख्स की 4 बेटियों को गोद लिया है। सोनू सूद अब उनकी पढ़ाई से लेकर शादी तक का हर खर्च उठाएंगे। सोनू सूद ने सोशल मीडिया पर चारों बच्चियों की एक फोटो शेयर कर लिखा- यह फैमिली अब मेरी है।

 

टिहरी जिले के लोयाल गांव के रहने वाले आलम सिंह पुंडीर (45) तपोवन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करते थे। जिस दौरान हादसा हुआ, उस वक्त आलम एक टनल में काम कर रहे थे। इस हादसे में उनकी जान चली गई और वे अपने पिछे पत्नी और चार बेटियों को अकेला छोड़ गए। आलम की चार बेटियां अंचल (14), अंतरा (11), काजल (8), और अनन्या (2) हैं। मृतक के परिवार वालों ने उनकी जिम्मेदारी उठाने के लिए सोनू सूद का आभार जताया है।

वहीं मृतक आलम सिंह की पत्नी सरोजनी देवी का कहना है कि बाढ़ ने मेरे बच्चों के पिता की जान ले ली और हमें बेसहारा कर दिया। सोनू सूद मेरे बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए एक भगवान के रूप में आगे आए हैं। मेरे परिवार को अंधेरे में उतरने से बचाने के लिए मैं उनका दिल से आभार मानती हूं। वहीं लोयाल गांव पूर्व ग्राम प्रधान हुकुम सिंह भंडारी के मुताबिक, हमें सोनू सूद की टीम से आश्वासन मिला है कि वह बच्चियों की शिक्षा और परिवार की आजीविका से संबंधित सभी खर्च खुद उठाएंगे। सोनू सूद को हमारा आशीर्वाद। 

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वहीं सोनू सूद ने एक इंटरव्यू में कहा- हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वो इस मुश्किल घड़ी में आगे आकर लोगों की मदद करें। जिनको भी इस मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है उन सभी की जितनी हो सके, मदद की जाए। सोनू के इस कदम की चौतरफा तारीफ हो रही है। बता दें कि सोनू ने लॉकडाउन के समय 25 हजार से ज्यादा अप्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक बस, ट्रेन और अन्य वाहनों से भिजवाया था। इस दौरान सोनू ने ही इनके खाने-पीने का भी इंतजाम किया था। 

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