सोमवार रात को सोनू सूद को मुंबई के बांद्रा टर्मिनल स्टेशन के अंदर नहीं जाने दिया गया। वे वहां से उत्तर प्रदेश जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार कुछ मजदूरों को विदा करने आए थे। लेकिन आरपीएफ ने उन्हें प्लेटफॉर्म पर नहीं जाने दिया। इस दौरान सूद करीब 45 मिनट तक आरपीएफ ऑफिस में ही बैठे रहे। इस मामले में मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सोनू सूद को हमने नहीं बल्कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने रोका था। इस बीच शिवसेना ने उन्हें घेरने की कोशिश की। शिवसेना उनकी मदद को सियासत से प्रेरित बता रही है।
मुंबई. कोरोना की मार दुनिया झेल रही है। इस महामारी की चपेट में अब तक कई लोग आ चुके हैं। हजारों लोग रोज मौत के मुंह में जा रहे हैं। भारत में भी इस महामारी का असर कम नहीं हुआ है। लॉकडाउन की वजह से दूसरे शहरों में फंसे मजबूरों की मदद लंबे से एक्टर सोनू सूद कर रहे हैं। उन्होंने कइयों को अपने घर तक पहुंचने में मदद की। लेकिन सोमवार रात को उन्हें मुंबई के बांद्रा टर्मिनल स्टेशन के अंदर नहीं जाने दिया गया। वे वहां से उत्तर प्रदेश जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार कुछ मजदूरों को विदा करने आए थे। लेकिन आरपीएफ ने उन्हें प्लेटफॉर्म पर नहीं जाने दिया। इस दौरान सूद करीब 45 मिनट तक आरपीएफ ऑफिस में ही बैठे रहे।
पुलिस ने दी सफाई
इस मामले में मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सोनू सूद को हमने नहीं बल्कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने रोका था। जब वे सोमवार रात को कुछ श्रमिकों से मिलने स्टेशन पहुंचे थे। वहां से उत्तर प्रदेश जाने वाली विशेष श्रमिक ट्रेन रवाना होने वाली थी। हालांकि, इस संबंध में उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है।
शिवसेना ने की एक्टर की आलोचना
सोनू सूद द्वारा किए जा रहे काम की लगातार सोशल मीडिया पर तारीफ हो रही है। मजदूर भी अपने-अपने तरीके से सूद को धन्यवाद दे रहै है। इस बीच शिवसेना ने उन्हें घेरने की कोशिश की। शिवसेना उनकी मदद को सियासत से प्रेरित बता रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सूद की इस महात्मा की छवि के पीछे भारतीय जनता पार्टी है। शिवसेना का कहना है कि प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए मसीहा बनकर उभरे सूद की पूरी स्क्रिप्ट की निर्माता भाजपा है।
विमान से भेजा घर
सोनू ने विमान से भी मजदूरों को घर भेजा है। करीब 180 मजदूर अपने घर के लिए असम रवाना हुए। ये सभी मजदूर पुणे में काम करते थे और अपने घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने की आस में मुंबई आए थे। मगर निसर्ग तूफान के चलते ये सभी मजदूर 3 जून से मुंबई के बांद्रा इलाके में फंसे हुए थे। इन मजदूरों को खाने खिलाने से लेकर उनके रहने का इंतजाम सूद और सोशल वर्कर नीति गोयल ने मिलकर किया।