तांडव के मेकर्स को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार, SC ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का दिया निर्देश

सैफ अली खान स्टारर वेबसीरीज 'तांडव' को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने 'तांडव' ने एक्टर जीशान अयूब समेत अमेजन प्राइम वीडियो (इंडिया) और मेकर्स के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 27, 2021 11:11 AM IST / Updated: Jan 27 2021, 04:54 PM IST

मुंबई. सैफ अली खान स्टारर वेबसीरीज 'तांडव' को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने 'तांडव' ने एक्टर जीशान अयूब समेत अमेजन प्राइम वीडियो (इंडिया) और मेकर्स के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई है। बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने ये भी कहा है कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। एक्टर्स की ओर दाखिल की गई याचिका...

सुप्रीम कोर्ट में 'तांडव' के मेकर्स और एक्टर्स की तरफ से याचिका दाखिल की गई है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में राहत देने और अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। 

 

वकील ने अर्नव गोस्वामी के केस का दिया उदाहरण

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क रखते हुए कोर्ट के समक्ष अर्नव गोस्वामी के केस का उदाहरण दिया। लूथरा ने कोर्ट से कहा कि 'सीरीज के डायरेक्टर का शोषण किया जा रहा है और क्या इस तरह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी।' इसके जवाब में बेंच ने कहा कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है और कुछ मामलों में इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।'

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डायरेक्टर ने बिवा शर्त लिखित मांगी माफी- वकील 

फिल्म मेकर्स के वकील फली एस नरीमन ने अपना तर्क रखते हुए कोर्ट में कहा कि 'डायरेक्टर ने बिना शर्त लिखित माफी मांगी है और विवादित दृश्यों को हटा दिया है, उसके बावजूद 6 राज्यों में उनके खिलाफ कई एफआईआर (FIR) दर्ज की गई हैं। इसके जवाब में जस्टिस भूषण ने कहा कि 'अगर आप एफआईआर को खारिज करना चाहते हैं तो राज्यों के हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते हैं।'

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