फिल्म मेकर सुदीप्तो सेन ने 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में द कश्मीर फाइल्स पर इजरायली फिल्म निर्माता नादेव लैपिड की विवादित कॉमेन्ट कोअनैतिक बताया है। उन्होंने जूरी बोर्ड को उन फिल्मों के बारे में बात करनी चाहिए जिन्हें सम्मानित किया जाता है। हम उन फिल्मों के बारे में बात नहीं करते हैं जिन्हें सम्मानित नहीं किया गया है।
एंटरटेनमेंट डेस्क,The Kashmir Files : फिल्म मेकर सुदीप्तो सेन ने 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में द कश्मीर फाइल्स पर इजरायली फिल्म निर्माता नादेव लैपिड के कॉमेन्ट के बारे में खुलकर बात की है। एक नए इंटरव्यु में, सुदीप्तो ने कहा कि उन्हें ऐसा लगा कि साथी जूरी मेंबर नादेव के कॉमेन्ट 'अनैतिक' थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सुदीप्तो ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स उन 17 फिल्मों में से एक थी, जिसे कोई अवार्ड नही दिया गया है। हमने फिल्म समारोह में बस इसे कोई सम्मान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि 'फिल्म हमारे क्राइटेरिया ( कलात्मक मानदंडों ) में फिट नहीं बैठती'।
नादेव लैपिड ने किया था विवादित कॉमेन्ट
गोवा में नौ दिवसीय फिल्म समारोह की समापन रात के दौरान पुरस्कार समारोह में नादेव, जिन्होंने IFFI के अंतर्राष्ट्रीय जूरी प्रेसीडेंट के रूप में कार्य किया था, उन्होंने अपने भाषण में विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स को एक 'अश्लील और प्रचार' ( vulgar and propaganda) फिल्म करार दिया था।
ज्यूरी मेंबर नादेव की टिप्पणी को बताया गलत
वहीं सुदीप्तो ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि, जूरी बोर्ड को उन फिल्मों के बारे में बात करनी चाहिए जिन्हें सम्मानित किया जाता है। हम उन फिल्मों के बारे में बात नहीं करते हैं जिन्हें सम्मानित नहीं किया गया है। अगर हम में से कोई (सदस्य) अचानक किसी ऐसी फिल्म के बारे में बात करने जाता है जिसे किसी मंच पर सम्मानित भी नहीं किया गया था, तो मुझे यह अनैतिक लगेगा।"
22 में से 5 फिल्मों को किया गया सम्मानित
सुदीप्तो ने यह भी बताया कि फिल्मों को पुरस्कार के लिए कैसे चुना जाता है, "हमें 22 फिल्में मिलीं, जिनमें से हमें 6 पुरस्कार देने थे - सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ एक्टर, सर्वश्रेष्ठ फीमेल एक्टर, सौंदर्यशास्त्र (aesthetics ) और कलात्मक मूल्यों ( artistic values ) के लिए विशेष जूरी पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक का पुरस्कार दिया जाता है। हमने 22 फिल्मों में से प्रत्येक को देखा, और सामूहिक रूप से कैमरा वर्क, एडीटिंग, साउंड, पटकथा, एक्टिंग जैसे मानदंडों के आधार पर उनमें से प्रत्येक का विश्लेषण किया गयाहै । हमने पुरस्कार के लिए 5 फिल्मों को चुना है। इस फैसले पर सामूहिक रूप से सहमति हुई थी।
इससे पहले समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए सुदीप्तो ने कहा था कि द कश्मीर फाइल्स के बारे में नादेव का कॉमेन्ट उनकी निजी राय थी। सुदीप्तो ने कहा था, 'बोर्ड के सदस्य के तौर पर मैं इस बात पर कायम हूं कि हमने द कश्मीर फाइल्स को अवॉर्ड नहीं दिया। हमने सिर्फ पांच फिल्मों को अवॉर्ड दिया। यह निर्णय सर्वसम्मत था।
द कश्मीर फाइल्स 1990 के दशक में कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को दर्शाती है। यह फिल्म साल की सबसे कॉर्मिशियल से सफल हिंदी फिल्मों में से एक है। इसमें अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी शामिल थे।
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