Budget 2022 के ऐलान से पहले मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर के लिए आई बुरी खबर, 4 महीने के निचले स्‍तर पर

Published : Feb 01, 2022, 11:05 AM ISTUpdated : Feb 01, 2022, 11:10 AM IST
Budget 2022 के ऐलान से पहले मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर के लिए आई बुरी खबर, 4 महीने के निचले स्‍तर पर

सार

Budget 2022: मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स दिसंबर के 55.5 के मुकाबले गिरकर 54.0 पर आ गया। जबकि रॉयटर्स पोल में इसका अंदाजा 54.6 रखा गया था।

Budget 2022: बजट के ऐलान से पहले मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर को बड़ा झटका लगा है। जनवरी में भारत की फैक्ट्री गतिविधि में वृद्धि चार महीने के निचले स्तर पर आ गई। वास्‍तव में कोविड-19 ने नए ऑर्डर और आउटपुट को चोट पहुंचाई, जबकि हाई कॉस्टिंग के दबाव ने व्यावसायिक विश्वास को प्रभावित किया। जनवरी में आईएचएस मार्किट द्वारा संकलित और एकत्रित मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स दिसंबर के 55.5 के मुकाबले गिरकर 54.0 पर आ गया। जबकि रॉयटर्स पोल में इसका अंदाजा 54.6 रखा गया था। वैसे इस बात का प्रमाण है कि विनाशकारी डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमाइक्रोन कोरोनावायरस वैरिएंट एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर कम दबाव डालेगा।

कुछ ऐसे आंकड़े आए सामने
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्र सहयोगी निदेशक पोलीन्ना डी लीमा ने कहा, "नई पीएमआई रिजल्‍ट से संकेत मिलता है कि कोविड-19 की नई लहर का भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन पर हल्का प्रभाव पड़ा है। आउटपुट, नए ऑर्डर और इनपुट खरीदारी जैसे कई उपाय विस्तार मोड में बने रहे। हालांकि विकास दर में कमी आई, लेकिन वे ऐतिहासिक रूप से मजबूत थे। नए ऑर्डर सब-इंडेक्स, घरेलू मांग के लिए एक प्रॉक्सी, दिसंबर के 58.4 से गिरकर 56.6 पर आ गया, जो सितंबर के बाद से सबसे कम है, अग्रणी फर्मों ने लगातार दूसरे महीने अपने कर्मचारियों की संख्या कम की है। विनिर्माण उत्पादन वृद्धि भी चार महीने के निचले स्तर पर आ गई।

बिजनेस एक्‍सपेक्‍टेशंस इंडेक्‍स 19 महीने के लनिचले स्‍तर पर
बिजनेस एक्‍सपेक्‍टेशंस इंडेक्‍स जो आने वाले वर्ष के बारे में आशावाद को मापता है, जनवरी में महामारी और हाई कॉस्टिंग प्रेशर के बीच चल रही चिंताओं के कारण 19 महीने के निचले स्तर पर आ गया। जबकि इनपुट लागत महंगाई जनवरी में तीसरे महीने के लिए कम हो गई, यह उच्च बनी रही। यह कुछ अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह भारतीय रिज़र्व बैंक पर अपेक्षा से अधिक जल्दी मौद्रिक नीति को कड़ा करने का दबाव डाल सकता है। डी लीमा ने कहा, "सर्वे के प्रतिभागियों को चिंता थी कि महंगाई के दबाव, महामारी के बढ़ने और इससे आने वाले किसी भी नए प्रतिबंध से उत्पादन वृद्धि बाधित होगी।

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