Budget 2022: 3 लाख की सालाना इनकम टैक्‍स फ्री होने की उम्‍मीद, टैक्‍स स्‍लैब में हो सकते हैं बदलाव

Budget 2022: हर बजट में आयकर दरों और स्लैब की समीक्षा की जाती है। हालांकि, 2014 के बाद से इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman) मंगलवार को बजट में स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को राहत देंगी?

 

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2022 7:43 AM IST / Updated: Feb 01 2022, 08:59 AM IST

Budget 2022: हर साल केंद्रीय बजट (Union Budget) में आम लोगों की सबसे पैनी नजरें आयकर स्‍लैब (Income Tax Slab) यानी इनकम टैक्‍स स्‍लैब पर होती है। हर बजट में आयकर दरों और स्लैब की समीक्षा की जाती है। हालांकि, 2014 के बाद से इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) मंगलवार को बजट में स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत देंगी? यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

2014 से नहीं हुआ टैक्‍स छूट की सीमा में बदलाव
मूल व्यक्तिगत टैक्‍स छूट की सीमा में पिछली बार 2014 में बदलाव किया गया था। 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुनियादी आयकर छूट की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दी थी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी गई। तब से बुनियादी छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ।

इस बार यह हो सकते हैं बदलाव
निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2022 को अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वित्त मंत्री करदाताओं को बड़ी राहत देने की घोषणा कर सकती हैं। अपेक्षित राहत में मूल छूट सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जा सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसे मौजूदा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए किए जाने की संभावना है। वहीं टॉप इनकम स्‍लैब को भी मौजूदा 15 लाख रुपए से संशोधित किए जाने की संभावना है।

केपीएमजी के सर्वे में आया यह सामने
केपीएमजी द्वारा हाल ही में विभिन्न बेनिफ‍िशरी के बीच किए गए एक प्री बजट स र्वेके अनुसार, 64 फीसदी लोगों का मानना है कि उन्‍हें 2.5 लाख रुपए की मूल आयकर छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद है। पार्टनर और नेशनल हेड ऑफ टैक्स, केपीएमजी इन इंडिया के राजीव डिमरी ने कहा कि हमारे प्री बजट सर्वे से संकेत मिलता है कि 2.5 लाख रुपये की मूल आयकर छूट सीमा में वृद्धि के माध्यम से व्यक्तिगत करदाताओं के लिए राहत की प्रतीक्षा है। प्रतिवादी 10 लाख रुपये के शीर्ष आय स्लैब में ऊपर की ओर संशोधन का भी समर्थन करते हैं।

2020 के बजट में टैक्‍स व्‍यवस्‍था में हुआ था बदलाव
हालांकि सीतारमण ने टैक्स स्लैब और दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन उन्होंने बजट 2020 में एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की है। नई कर व्यवस्था के तहत, कर छूट और कटौती को छोड़ने के इच्छुक लोगों के लिए कर की दरें कम कर दी गई हैं। नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक बनी हुई है। इसका मतलब है कि करदाता के पास या तो पुरानी व्यवस्था से चिपके रहने या नई व्यवस्था चुनने का विकल्प होता है।

यह की गई थी व्‍वस्‍था
वर्तमान में, 2.5 रुपये तक की आय दोनों व्यवस्थाओं के तहत कराधान से मुक्त है। 2.5 से 5 लाख रुपये के बीच की आय पर पुराने और साथ ही नई कर व्यवस्था के तहत 5 प्रतिशत की दर से कर लगता है। 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर पुरानी व्यवस्था के तहत 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है, जबकि नई व्यवस्था के तहत कर की दर 10 प्रतिशत है। पुरानी व्यवस्था में 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जबकि नई व्यवस्था में कर की दर 15 प्रतिशत है।

दोनों व्‍यवस्‍थाओं में हाई इनकम के लिए क्‍या
पुरानी व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की व्यक्तिगत आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। हालांकि, नई व्यवस्था के तहत, 10 लाख रुपये से ऊपर के तीन स्लैब हैं। नई व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये के बीच की व्यक्तिगत आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है। 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। प्रभावी कर की दर सेस और सरचार्ज के कारण बहुत अधिक है।

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निवेश पर छूट में क्‍या हुए थो बदलाव
5 लाख रुपये तक की शुद्ध कर योग्य आय वाले व्यक्ति को पुराने और साथ ही नई कर प्रणाली दोनों में धारा 87A के तहत 12,500 रुपए तक की कर छूट का लाभ मिलता है इसलिए प्रभावी रूप से, दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों की कर देयता शून्य है। 2014 से धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा भी अपरिवर्तित बनी हुई है। 2014 के बजट में, 80सी कटौती की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई थी, जबकि होम लोन पर ब्याज की कटौती की सीमा को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया था। ये दोनों कटौतियां 2014 से अपरिवर्तित हैं। हालांकि, बाद के बजटों में कुछ अतिरिक्त कटौतियां पेश की गई हैं। 2015 के बजट में, सरकार ने धारा 80 सीसीडी के तहत राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत योगदान के लिए 50,000 रुपए की अतिरिक्त कटौती की शुरुआत की। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा भी 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दी गई है।

पिछले बजट में 70 छूटों और कटौतियों को हटाया था
इस साल के बजट में आयकर व्यवस्था के सरलीकरण और युक्तिकरण की दिशा में बड़े कदमों की भी उम्मीद है। बजट 2020-21 में विभिन्न प्रकृति की लगभग 70 छूटों और कटौतियों को हटा दिया गया। वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि "शेष छूट और कटौती की समीक्षा की जाएगी और आने वाले वर्षों में कर प्रणाली को और सरल बनाने और कर की दर को कम करने की दृष्टि से युक्तिसंगत बनाया जाएगा।

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इस बार क्‍या है उम्‍मीद
वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में आयकर दरों या स्लैब में कोई खास बदलाव नहीं किया। डिमरी ने कहा, हालांकि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कर विवादों को हल करने और कर विवाद समाधान ढांचे को ओवरहाल करने के लिए कई उपाय किए हैं, इस संबंध में आगे के उपायों से मुकदमेबाजी को कम करने में मदद मिल सकती है। अनुपालन बोझ को कम करने के लिए टीडीएस और टीसीएस प्रावधानों के युक्तिकरण का भी स्वागत किया जाएगा।

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