आर्थिक समीक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को नयाम आयाम दिया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि सरकार को निर्यात बढ़ाने और रोजगार सृजित करने के लिये अपने प्रमुख कार्यक्रम में दुनिया के लिये ‘भारत में एसेंबल’ को जोड़ना चाहिए।
नई दिल्ली. आर्थिक समीक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को नयाम आयाम दिया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि सरकार को निर्यात बढ़ाने और रोजगार सृजित करने के लिये अपने प्रमुख कार्यक्रम में दुनिया के लिये ‘भारत में एसेंबल’ को जोड़ना चाहिए। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2019-20 में कहा गया, ‘‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम में दुनिया के लिये 2020-21 को अगर जोड़ा जाता है, भारत निर्यात बाजार में अपनी हिस्सेदारी 2025 तक बढ़ाकर करीब 3.5 प्रतिशत और 2030 तक 6 प्रतिशत कर सकता है।’’
युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर
इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिये मौजूदा परिवेश भारत के लिये काफी अवसर उपलब्ध कराते हैं। इसमें वह चीन की तरह श्रम गहन क्षेत्र में निर्यात वृद्धि पर बढ़ सकता है, जिससे तेजी से बढ़ रही युवा आबादी के लिये रोजगार के अवसर सृजित होंगे। 2025 तक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 3.5 प्रतिशत होने के साथ देश में 4 करोंड़ नई नौकरियां मिलेंगी, जबकि यही आंकड़ा 2030 तक 8 करोड़ पहुंच सकता है।
भारत को चीन से सीखने की जरूरत
इसमें चीन का उदाहरण देते हुए कहा गया कि पड़ोसी देश कल-पुर्जों का आयात कर दुनिया के अन्य देशों के लिये उनका एसेंबल किया। इससे वहां वृहद स्तर पर रोजगार सृजित हुए। देश के निर्यात प्रदर्शन के बारे में समीक्षा में कहा गया कि अगर भारत दुनिया का प्रमुख निर्यातक देश बनना चाहता है, उसे उन क्षेत्रों में और विशेषज्ञता हासिल करना चाहिए जहां उसे तुलनात्मक लाभ है। इसमें कहा गया है, ‘‘...भारत का निर्यात का दायरा बढ़ा है लेकिन वह कमजोर है। इसके कारण चीन के मुकाबले उसका प्रदर्शन हल्का है।’’
लगातार घट रहा है भारत का निर्यात
भारत का निर्यात लगातार पांचवें महीने दिसंबर में 1.8 प्रतिशत घटकर 27.36 अरब डॉलर रहा। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान निर्यात 1.96 प्रतिशत घटकर 239.29 अरब डॉलर रहा। आयात भी 8.9 प्रतिशत घटकर 357.39 अरब डॉलर रहा। इसके कारण व्यापार घाटा 118.10 अरब डॉलर रहा। समीक्षा में कहा गया कि भारत की तुलना में चीन में निर्यात प्रदर्शन का आधार मुख्य रूप से श्रम गहन क्षेत्रों में विशेषज्ञता है। यह खासकर उपकरणों के मामले में ज्यादा है। इसमें कहा गया, ‘‘चीन ने अपनी विशेषज्ञ रणनीति का उपयोग धनी देशों के बाजार में निर्यात में किया। इसी प्रकार भारत को भी उपकरणों के मामले में वृहद स्तर पर एसेंबल गतिविधियों पर जोर देना चाहिए।’’
इटली में सिर्फ 1 घंटे में होता है यह काम, भारत में लगते हैं 3 दिन
समीक्षा में यह भी कहा गया कि विभिन्न देशों से कारोबार के संदर्भ में भारतीय हवाईअड्डों की प्रक्रियाओं को समुद्री बंदरगाहों पर भी लागू किया जाना चाहिए। इसके अनुसार, ‘‘वैश्विक स्तर पर बंदरगाहों के जरिये परिवहन को पसंद किया जाता है। उसके बाद रेलवे और सड़क का स्थान है। लेकिन भारत में इसका ठीक उल्टा है।’’ समीक्षा के अनुसार भारत में निर्यात तथा आयात के लिये सीमा संबंधी प्रावधानों और दस्तावेजों के अनुपालन में क्रमश: 60 से 68 और 82 से 88 घंटे लगता है, वहीं इटली में इस प्रक्रिया में महज एक घंटा लगता है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)