निजी ट्रेन योजना में Bombardier, GMR समेत 16 कंपनियों ने दिखाया इंटरेस्ट, प्री-बिड मीटिंग में की भागीदारी

भारत सरकार जल्दी ही प्राइवेट ट्रेनों का संचालन शुरू करने जा रही है। 12 प्राइवेट ट्रेनों का संचालन वित्त वर्ष 2023 से शुरू हो जाएगा। इसे लेकर मंगलवार को प्री-बिड मीटिंग हुई, जिसमें बॉम्बार्डियर, जीएमआर, भारत फोर्ज समेत 16 कंपनियों ने भागादारी की। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 22, 2020 5:21 AM IST / Updated: Jul 22 2020, 11:41 AM IST

बिजनेस डेस्क। भारत सरकार जल्दी ही प्राइवेट ट्रेनों का संचालन शुरू करने जा रही है। 12 प्राइवेट ट्रेनों का संचालन वित्त वर्ष 2023 से शुरू हो जाएगा। इसे लेकर मंगलवार को प्री-बिड मीटिंग हुई, जिसमें बॉम्बार्डियर, जीएमआर, भारत फोर्ज समेत 16 कंपनियों ने भागीदारी की। बता दें कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2027 तक देश में 151 प्राइवेट ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया मार्च, 2021 तक पूरी कर ली जाएगी। पहली प्री-बिड मीटिंग में भेल (BHEL), आईआरसीटीसी (IRCTC), मेधा (Medha), सीएएफ (CAF) और गेटवे रेल (Gateway Rail) ने हिस्सा लिया।

ये कंपनियां नहीं हुईं शामिल
इस प्री-बिड मीटिंग में टाटा ग्रुप और अडानी ग्रुप्स जैसी बड़ी कंपनियां शामिल नहीं हुईं, लेकिन जो कंपनियां प्री-बिड मीटिंग में शामिल नहीं हुईं हैं, वे भी बिडिंग प्रॉसेस में भाग ले सकती हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के किसी प्रोजेक्ट में प्री-बिड मीटिंग के आयोजन का मकसद प्रोजेक्ट से संबंधित मुद्दों पर और संभावित बिडर्स के कन्सर्न्स को लेकर चर्चा करना होता है। जानकारी के मुताबिक, दूसरी प्री-बिडिंग मीटिंग 8 अगस्त को होगी।

क्या मुद्दे आए सामने
सूत्रों के मुताबिक, प्री-बिड मीटिंग में शामिल कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव्स ने कहा कि प्राइवेट ट्रेनों के संचालन में रेलवे पहले से रूट और ट्रेनों के परिचालन का शेड्यूल तय कर रही है। लेकिन ट्रेनों का संचालन करने वाली कंपनियों को यह तय करने की छूट मिलनी चाहिए। मीटिंग में भाग लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना था कि जिन्हें प्राइवेट ट्रेनों के संचालन की जिम्मेदारी मिलेगी, उन्हें यात्रियों की सुरक्षा का हर तरह से ख्याल तो रखना ही होगा, साथ ही रेवेन्यू में से भी रेलवे को हिस्सा देना होगा।

ट्रैक का मुद्दा भी उठा
इस प्री-बिड मीटिंग में भाग लेने वालों ने रेल ट्रैक का मुद्दा भी उठाया। उनका कहना था कि रेलवे कंपनियों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर ट्रेनें चलाने के लिए क्यों कह रही है, जबकि तकनीकी लिहाज से ट्रैक इसके लायक नहीं हैं।

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