सभी बैंकों और एटीएम में शुरू होगी कार्डलेस कैश विड्रॉल की व्यवस्था, जानिए क्या होगा फायदा

कार्डलेस कैश विड्रॉल सुविधा के तहत, व्यक्ति ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) पर किसी भी डेबिट कार्ड का उपयोग किए बिना कैश निकाल सकते हैं। कार्डलेस विड्रॉल अनुरोध न्यूनतम 100 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन और अधिकतम 10,000 रुपए प्रति दिन या 25,000 रुपए प्रति माह तक किया जा सकता है।

Saurabh Sharma | Published : Apr 8, 2022 7:47 AM IST

बिजनेस डेस्क। मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई का यूज कर सभी बैंकों और एटीएम से कार्डलेस कैश विड्रॉल का ऑप्शन उपलब्ध कराया जाएगा। फिलहाल यह सुविधा कुछ ही बैंकों तक सीमित है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि कार्ड लेस ट्रांजेशक्श से स्किमिंग, कार्ड क्लोनिंग, डिवाइस से छेड़छाड़ आदि जैसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। सभी बैंकों और सभी एटीएम नेटवर्क / ऑपरेटरों में कार्डलेस कैश विड्रॉल सुविधा को प्रोत्साहित करने के लिए, यूपीआई के उपयोग के माध्यम से ग्राहक ऑथराइजेशन को सक्षम करने का प्रस्ताव है, जबकि ऐसे लेनदेन का निपटान एटीएम नेटवर्क के माध्यम से होगा।

कितना कर सकते हैं विड्रॉल
कार्डलेस कैश विड्रॉल सुविधा के तहत, व्यक्ति ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) पर किसी भी डेबिट कार्ड का उपयोग किए बिना कैश निकाल सकते हैं। कार्डलेस विड्रॉल अनुरोध न्यूनतम 100 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन और अधिकतम 10,000 रुपए प्रति दिन या 25,000 रुपए प्रति माह तक किया जा सकता है। एटीएम के माध्यम से कार्डलेस कैश विड्रॉल नकद देश के कुछ बैंकों द्वारा ऑन-अस बेस पर (अपने ग्राहकों के लिए अपने स्वयं के एटीएम पर) लेन-देन का एक अनुम तरीका है।

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रेपो रेट स्टेबल
दास ने यह भी कहा कि भारत बिल भुगतान प्रणाली संचालन इकाइयों के लिए नेटवर्थ की आवश्यकता को 100 करोड़ रुपए से घटाकर 25 करोड़ रुपए कर दिया गया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने उधार दर, या रेपो दर को 4 फीसदी पर रखा और अपनी मौद्रिक नीति के रुख को "समायोज्य" रखने के लिए मतन किया, हालांकि गवर्नर ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 'आवास की निकासी' पर ध्यान केंद्रित करेगा।

यह भी पढ़ेंः- RBI Monetary Policy: इन 10 प्वाइंट्स में समझें अपने मतलब की बात

कितना लगा जीडीपी अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। भारतीय अर्थव्यवस्था दिसंबर तिमाही में 5.4 फीसदी की धीमी गति से बढ़ी, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 0.7 फीसदी और पिछली तिमाही में 8.5 फीसदी थी। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी 8.9 फीसदी  बढऩे का अनुमान है, जो पहले अनुमानित 9.2 फीसदी की तुलना में धीमी है।

यह भी पढ़ेंः- RBI MPC Meet: ब्याज दरों में नहीं हुआ बदलाव, 7.2 फीसदी रह सकती है जीडीपी

कितनी रह सकती है महंगाई
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की महंगाई का अनुमान 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। फरवरी में भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने 6 फीसदी से अधिक हो गई, क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 6.07 फीसदी बढ़ी, जो पिछले महीने में 6.01 फीसदी की तुलना में भोजन, ईंधन और घरेलू सामानों की बढ़ती लागत से बढ़ी थी। मुद्रास्फीति पहले से ही केंद्रीय बैंक की ऊपरी सहनशीलता सीमा से ऊपर चल रही है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट से यह भी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमानों में काफी वृद्धि करेगा और विकास अनुमानों को भी कम करेगा।

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