Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान के बिगड़े हालात पर चीन ने फिर लगाया मरहम, 2.3 अरब डॉलर की करेगा मदद

पाकिस्तान के बिगड़े हालात के बीच एक बार फिर चीन आगे आया है। चीन के बैंक पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर मदद देंगे। वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि इससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी।

Moin Azad | Published : Jun 3, 2022 11:31 AM IST / Updated: Jun 03 2022, 05:04 PM IST

नई दिल्लीः चीन नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) की मदद के लिए एक बार फिर आगे आया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन के बैंकों ने उनके देश को 2.3 अरब डॉलर के पुन: वित्तपोषण पर सहमति जतायी है, जिससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी। इस्माइल ने कहा, 'चीनी बैंकों द्वारा जमा लगभग 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर के पुन: वित्तपोषण के नियम और शर्तों पर सहमति व्यक्त की गई है। दोनों पक्षों की ओर से कुछ नियमित अनुमोदन के बाद जल्द ही वित्तपोषण प्राप्त होने की उम्मीद है।'

महंगाई पर नियंत्रण जरूरी
इसी दौरान पाकिस्तान स्टेट बैंक ने भी खुलासा कर दिया कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भारी दबाव में है। मुद्रा भंडार में 10.9 अरब ड़ॉलर है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि नकदी संकट से जूझ रहे देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए इस महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के सात एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है। पाकिस्तान अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बार-बार अंतरराष्ट्रीय मदद मांग रहा है। इस मुद्दे पर कतर की राजधानी दोहा में उसकी आईएमएफ के साथ बातचीत हो रही है। मिफ्ताह ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के बजाय महंगाई पर नियंत्रण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण से आर्थिक वृद्धि की राह आसान होगी।  

पाकिस्तान को चुकाना है बड़ा कर्ज
इस्माइल ने जरूरी बाह्य वित्तपोषण का ब्योरा देते हुए कहा कि पाकिस्तान को अगले वित्त वर्ष में 21 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। इसके अलावा देश को चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 10-15 अरब डॉलर की जरूरत होगी। पाकिस्तान सरकार अगले साल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को पांच अरब डॉलर बढ़ाकर 15 अरब डॉलर करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। उन्होंन कहा कि देश को अगले वित्त वर्ष में 36-37 अरब डॉलर के विदेशी वित्तपोषण की जरूरत होगी। 

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