एक्शन में मोदी सरकार, लद्दाख में तनाव की वजह से रद्द हो सकते हैं चीनी कंपनियों को दिए प्रोजेक्ट!

केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस का प्रोजेक्ट एक चीनी कंपनी को दिए जाने का विरोध विपक्ष के अलावा स्वदेशी जागरण मंच ने भी किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 17, 2020 2:32 PM IST

बिजनेस डेस्क। लद्दाख की गलवान वैली में चीनी सैनिकों की धोखेबाज़ी को लेकर देशभर में गुस्सा है। अब सरकार से कार्रवाई की मांग की जा रही है। इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि भारत-चीन के बीच मौजूदा तनाव का असर भारत में चीनी कंपनियों के कई प्रोजेक्ट पर भी पड़ सकता है। भारत कड़े आर्थिक फैसले लेते हुए चीनी कंपनियों को दिए करार की समीक्षा कर सकता है। 

भारत में चीनी कंपनियों ने कई बड़े प्रोजेक्ट हासिल किए हैं इसमें मेरठ रैपिड रेल का प्रोजेक्ट भी है। भारतीय कंपनियों को पछाड़ते हुए इसे चीन की कंपनी ने हासिल किया है। चीनी कंपनी को प्रोजेक्ट देने की खबर से केंद्र सरकार की आलोचना भी हो रही थी। 

समीक्षा कर रही मोदी सरकार 
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक सीमा पर मौजूदा हालात के मद्देनजर मोदी सरकार ने उन तमाम प्रोजेक्ट की समीक्षा शुरू कर दी है, जिन्हें चीनी कंपनियों को दिया गया था। इसी में दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस का प्रोजेक्ट भी शामिल है। रिपोर्त्स्के मुताबिक सरकार की ओर से इस बिड को रद्द करने के लिए कानूनी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। 

प्रोजेक्ट क्या है? 
ये महत्वपूर्ण सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का प्रोजेक्ट है जो गाजियाबाद होते हुए दिल्ली और मेरठ को जोड़ेगा। प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 82.15 किलोमीटर है। आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड जबकि 14.12 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड होगा। 

चीन की किस कंपनी के पास ठेका 
भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। लेकिन दिल्ली-मेरठ ​आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने का ठेका चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को मिला है। कंपनी ने 1126 करोड़ रुपये की बिड लगाई थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच के साथ विपक्षी पार्टियों ने चीनी कंपनी को स्ट्रेच का काम दिए जाने का विरोध किया है। 

Share this article
click me!