प्रमुख उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने केंद्र सरकार से कंपनियों पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के करों को समाहित करते हुये 2023 तक 15 प्रतिशत पर लाने की बजट में घोषणा करने की मांग की है
नई दिल्ली: प्रमुख उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने केंद्र सरकार से कंपनियों पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के करों को समाहित करते हुये 2023 तक 15 प्रतिशत पर लाने की बजट में घोषणा करने की मांग की है।
सीआईआई ने सुझाव दिया है कि सरकार को आगामी आम बजट में कॉरपोरेट कर की सभी दरों को सभी तरह की छूट और रियायत को समाप्त कर अप्रैल, 2023 तक 15 प्रतिशत पर लाने की घोषणा करनी चाहिए। इससे निवेश फैसले सुगमता से लिए जा सकेंगे।
कॉरपोरेट कर की दर में कटौती संतोषजनक नहीं
सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा, ‘‘आम बजट में कॉरपोरेट कर दर को सभी तरह के प्रोत्साहन और छूट समाप्त करने के बाद एक अप्रैल, 2023 से एकमुश्त 15 प्रतिशत करने की रूपरेखा की घोषणा की जा सकती है। इस तरह के संकेत मिलने से निवेशकों की धारणा मजबूत होगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।’’
उद्योग मंडल ने कहा कि कॉरपोरेट कर की दर में कटौती का जमीनी प्रभाव अभी संतोषजनक नहीं है। सीआईआई ने कहा कि इसकी वजह कर की कई दरें होना है जिसकी वजह से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए कर की दरों में असमानता बन गई है।
दर को करीब 10 प्रतिशत घटाकर 22 प्रतिशत
सरकार ने पिछले साल कॉरपोरेट कर की दर को करीब 10 प्रतिशत घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया। इसके ऊपर अधिभार और उपकर लागू है जिसे मिलाकर यह दर 25.17 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। हालांकि, इस दर पर कंपनियों को किसी तरह की कर छूट या प्रोत्साहन लाभ नहीं मिलेगा।
इसके अलावा 31 मार्च, 2023 तक उत्पादन शुरू करने वाली विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयां जिनका गठन एक अक्टूबर, 2019 या उसके बाद होगा उनके लिये 15 प्रतिशत की दर से कर देना होगा। अधिभार और उपकर के साथ यह दर 17.14 प्रतिशत के आसपास हो जाता है।
भारत में कंपनी कर पिछले तीन दशक के दौरान 45 प्रतिशत से घटता हुआ 2019- 20 में 22 प्रतिशत पर आया है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)