कोरोना की वजह से 73 साल में पहली बार नहीं छपेगा बजट डॉक्युमेंट, सॉफ्ट कॉपी से बजट भाषण पढ़ेंगी वित्त मंत्री

इस साल बजट पर भी कोरोना महामारी (Covid-19) का ग्रहण लगता दिख रहा है। देश के इतिहास में 73 साल के बाद पहली बार 2021-22 का बजट दस्तावेज (Budget Document) छापा नहीं जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सॉफ्ट कॉपी से बजट भाषण पढ़ेंगी।

बिजनेस डेस्क। इस साल बजट पर भी कोरोना महामारी (Covid-19) का ग्रहण लगता दिख रहा है। देश के इतिहास में 73 साल के बाद पहली बार 2021-22 का बजट दस्तावेज (Budget Document) छापा नहीं जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सॉफ्ट कॉपी से बजट भाषण पढ़ेंगी। बताया गया कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते इस बार बजट के दस्तावेज छापे नहीं जा रहे हैं। इसके लिए सरकार को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई है। संसद सदस्यों को इस बार बजट संबंधी दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी मुहैया कराई जाएगी।

संसद के बाहर नहीं दिखेंगे बजट वाले ट्रक
इस बार संसद के बाहर बजट संबंधी डॉक्युमेंट्स पहुंचाने वाले ट्रक नजर नहीं आएंगे। केंद्र सरकार के बजट संबंधी दस्तावेजों की प्रिंटिंग वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस में होती है। इसके लिए करीब 100 लोगों को 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक एक ही जगह पर रहना होता है। कोरोना महामारी को देखते हुए इतने लोगों का लंबे समय तक एक साथ रह पाना संभव नहीं हो सकता है। इससे कोरोना के संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है।

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सॉफ्ट कॉपी के लिए मनाया गया सांसदों को
जानकारी के मुताबिक, बजट संबंधी दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी के लिए सांसदों को मनाने की नौबत आ गई। इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के उपसभापति ने सांसदों को समझाया। उन्हें बताया गया कि दस्तावेजों का छापना कोरोना महामारी की वजह से संभव नहीं हो सकता। सीमित संख्या में भी बजट के दस्तावेज छापे जाएं तो प्रक्रिया उतनी ही अपनानी पड़ती है। 

बजट छपने से पहले होती है हलवा सेरेमनी
बता दें कि स्वतंत्र भारत में पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। तब से इसके दस्तावेज हर साल छपते रहे हैं। वित्त मंत्रालय इन दस्तावेजों की छपाई की शुरुआत के पहले एक हलवा सेरेमनी करता है। यह आयोजन संसद में बजट पेश किए जाने के एक पखवाड़े पहले नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में होता है। इस बार यह होगा या नहीं, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है।

बजट प्रक्रिया में हुए ये बदलाव
वित्त मंत्री बजट दस्तावेज चमड़े के ब्रीफकेस में ले जाते थे। इस परंपरा की शुरुआत देश के पहले वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी ने की थी। वे 1947 से 1949 तक वित मंत्री रहे। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2019 और 2020 में बजट दस्तावेज लाल रंग के पारंपरिक बही-खाते में ले गई थीं। साल 1999 तक बजट फरवरी महीने के अंतिम कामकाजी दिन के शाम 5 बजे पेश किया जाता था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश करना शुरू किया। पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था। साल 2016 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया और 1 फरवरी को बजट पेश करने की घोषणा की।   

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