Booster Dose Cyber Fraud: अब बूस्टर डोज के नाम पर होने लगी ठगी, ओटीपी बताते ही अकाउंट हो जाता है खाली

अगर आपको कॉल आए और कोई बूस्टर डोज लेने के लिए कहे तो सतर्क हो जाएं। साइबर ठग आपको कॉल कर रहे होंगे। इस तरह के कॉल करनेवालों को कतई ओटीपी नहीं बताएं। इस तरह के ठगों के लिए सरकार ने कई बार गाइडलाइन भी जारी की है। 

Moin Azad | / Updated: Jul 15 2022, 07:30 AM IST

बिजनेस डेस्कः साइबर ठगों ने अब नया तरीका इजाद कर लिया है। बूस्टर डोज लगाने को लेकर खाते में सेंधमारी की तैयारी चल रही है। कई राज्यों में इसके अलर्ट का एक मैसेज भी चल रहा है। यह मैसेज असली है या नकली फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन इसमें दिया गया मैसेज पुख्ता है। इससे सीख लेने की जरूरत है। आपको बता दें कि साइबर सेल व गृह मंत्रालय इनको लेकर पहले ही लोगों को अलर्ट कर चुके हैं। लेकिन इसकी शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए जालसाजों से सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि ठग के बात करने का तरीका ऐसा है, जैसे वे सचमुच सरकारी हेल्थ विभाग (government health department) से ही कॅाल कर रहे हैं। 

ऐसा है ठगी का तरीका
साइबर ठग या जालसाज आपको कॅाल या मैसेज करेंगे। बात होते ही पहला सवाल करेंगे, क्या आपने कोविड की दोनो डोज ले ली है। आपके हां जवाब के बाद वह आपसे सरकार के हेल्थ विभाग का हवाला देकर बूस्टर डोज लेने की अपील करेंगे। जब आप हां कह देंगे तो वे कहेंगे कि हम आपका रजिस्ट्रेशन कर देते हैं। रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपके पास एक ओटीपी आएगा। उसे बता दें। अगर आपने ओटीपी बताई तो आपके खाते में जमा राशि निकल जाएंगे। कई बार लोग समझ नहीं पाते हैं, क्योंकि कोरोना काल में लोगों के पास ऐसे फोन कॉल आते रहते थे। 

बैंक या स्वास्थ्य विभाग नहीं पूछता ओटीपी
आपको बता दें कि सरकार ने बूस्टर डोज लगाने के लिए हाल ही में नया आदेश भी जारी किया है कि 15+ आयू के लोगों को फ्री में टीका लगवाया जाएगा। इससे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स और 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को बूस्टर डोज लगवाई जा रही थी। बस इसी बात का फायदा साइबर ठग उठा रहे थे। गृह मंत्रालय ने भी इस तरह की ठगी से सतर्क रहने के लिए वीडियो जारी किया था। आपको बता दें कि कई जिलों से मिली शिकायत के आधार पर एक बार फिर साइबर सेल ने सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ ही किसी को किसी भी तरह का ओटीपी नहीं बताने को कहा गया है। 

अलग-अलग तरह के हैं साइबर फ्रॉड, जानें
साइबर ठग अक्सर मैसेज और कॉल के जरिये लोगों को झांसा देते हैं कि किसी प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी या बिटकॉइन में निवेश करने से भारी मुनाफा हो सकता है। यह ठग आकर्षक स्कीम के बारे में बताकर यह भरोसा दिलाने की कोशिश करते हैं कि इसमें निवेश करने पर आप एक साल में 50 फीसदी से अधिक रिटर्न हासिल कर पाएंगे। साइबर क्रिमिनल एक ग्रुप के जरिये अभियान चलाते हैं। उस ग्रुप में साइबर ठग के रिश्तेदार और परिचित होते हैं, जो यह दावा करते हैं कि उन्होंने भी इसमें इनवेस्ट कर भारी रिटर्न कमाया है। अगर आप वेरिफाई करने के लिए बात करेंगे तो वे सरेआम झूठ बोलेंगे ताकि आप भी उनके ठगी वाले स्कीम में पैसे इन्वेस्ट कर दें। 

अनजाने ग्रुप में ना जुड़ें
लेकिन सावधान रहें, कोई भी प्रमुख कंपनी निवेशकों को सीधे फोन नहीं करती है। कोई अजनबी आपको अपने व्हाट्सएप ग्रुप में नहीं जोड़े, इसलिए अपने एप सेटिंग्स को बदलाव करें। अपने अकाउंट प्राइवेसी ग्रुप्स ऑप्शन को क्लिक करें। वहां who can add you to groups यानी आपको समूहों में कौन जोड़ सकता है का चयन करें। फिर My Contacts यानी माई कॉन्टैक्ट या My Contacts except को सिलेक्ट करें। फिर चुनिंदा कॉन्टैक्ट को जोड़े। 

लोन का देते हैं लालच
आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर इंस्टेंट लोन एप का लिंक इस दावे के साथ भेजा जाता है कि वे बिना किसी डॉक्यूमेंट के लोन को तुरंत प्रोसेस कर देंगे। ऐसे एप वाले बिना किसी गारंटर के पर्सनल लोन देते हैं, बस इसके लिए आपको एप पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ऐसा करने से पहले सावधान हो जाएं, क्योंकि आप ठगों के एक जाल में फंसने जा रहे हैं। ऐसे एप्स से लोन लेने के लिए आपको अपने फोन में कई परमीशन देनी होगी। एप्स की ओर से एक लिंक भी भेजा जाता है, जिस पर वह क्लिक करने को बाध्य करते हैं। लिंक पर क्लिक करते ही एप्स चला रहे गिरोह को आपके फोन का एक्सेस मिल जाता है। वे आपके फोन से कॉन्टैक्ट, फोटो और वीडियो इकट्ठा करते हैं, और आपको पैसे के लिए परेशान करना शुरू करते हैं। वे पैसे निकालने के लिए मॉर्फ करने और ऑनलाइन फोटो अपलोड करने से भी नहीं चूकते। इसलिए किसी भी परिस्थिति में अजीब लिंक न खोलें। ध्यान रखें कि सही लोन देने वाले बैंक या फाइनेंशियल संस्थान बिना उचित डॉक्यूमेंट के लोन नहीं देते हैं।

स्मार्टफोन फेक स्कैम
स्मार्टफोन इन दिनों एक अनिवार्य जरूरत बन गया है। स्मार्टफोन यूजर्स के लिए कई एप भी बनाए गए है। साइबर क्रिमिनल इन एप्स का इस्तेमाल लोगों को टारगेट करने के लिए कर रहे हैं। स्कैमर्स नग्न वीडियो कॉल करते हैं और रिकॉर्ड करते हैं, पीड़ितों को वीडियो भेजते हैं और फिरौती देने के लिए उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। इससे बचने का तरीका है कि आप अनजान नंबरों से वीडियो कॉल का जवाब न दें। अगर आप कॉल का जवाब भी देते हैं, तो भी सावधान रहें कि कहीं कॉल करने वाली महिला तो नहीं है। अगर ऐसा हो तो तुरंत कॉल काट दें और नंबर को रिपोर्ट करें।

फेसबुक आईडी स्कैम
फेसबुक के जरिये ठगी का चलन भी बढ़ गया है। स्कैमर्स किसी का डुप्लिकेट फेसबुंक अकाउंट बनाते है। उसमें प्रोफाइल फोटो और डिटेल भी वैसा ही रखते हैं, जैसा यूजर्स के ओरिजिनल में होता है। फिर वह यूजर्स के फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों को फर्जी आईडी के जरिए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं॥ जब आप परिचित जानकर फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं तो वह इमरजेंसी का हवाला देते हुए पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं। वे कॉल का जवाब नहीं देते हैं। वे चैट के माध्यम से अपना GPay या PhonePe नंबर भेजते हैं और दोस्तों से पैसे ट्रांसफर करने का अनुरोध करते हैं। इस तरह कई लोगों का पैसा डूब गया है। 

इससे बचने के लिए फेसबुक अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स को 'पब्लिक' के बजाय 'फ्रेंड्स ओनली' में बदल दें। अपनी प्रोफ़ाइल को लॉक करना और भी सुरक्षित है क्योंकि आपके फ्रेंड लिस्ट के बाहर कोई भी आपकी फ़ोटो या डेटा तक उस तरह से नहीं पहुंच सकता है।

ऐसे करें साइबर फ्रॉड की शिकायत
पहले साइबर क्राइम के बारे में शिकायत करना मुश्किल था क्योंकि पीड़ित को ट्रांजेक्शन डिटेल हासिल करने के लिए बैंक स्टेटमेंट लेना पड़ता था। इसके बाद शिकायत दर्ज करने के लिए साइबर अपराध विभाग में जाना पड़ता था। पुलिस को रिपोर्ट करने के बाद भी यह गारंटी नहीं थी कि आपके खोए हुए पैसे की वसूली की जा सकती है। लेकिन जैसे-जैसे साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। साइबर ठगी के शिकार लोग देश के किसी भी हिस्से से फोन कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। साइबर शिकायतों के लिए एक अलग फोन नंबर - 1930 है। इसके अलावा मेल से भी शिकायत की जा सकती है। अगर पीड़ित जल्द से जल्द शिकायत करे तो पुलिस जालसाजों से पैसे वसूल कर सकती है।

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