होली से पहले 6 करोड़ कर्मचरियों को झटका! EPFO ने PF की ब्याज दर घटाकर 8.55% किया, 7 साल में सबसे कम

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.5 प्रतिशत करने की घोषणा की है

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2020 11:06 AM IST

नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.5 प्रतिशत करने की घोषणा की है। यह इसका सात साल का न्यूनतम स्तर है।

ईपीएफओ ने पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के लिये कर्मचारी भविष्य निधि पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था। ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में यह फैसला किया गया। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बैठक के बाद कहा, ‘‘ईपीएफओ ने सीबीटी की आज हुई बैठक में 2019-20 के लिये भविष्य निधि जमा पर 8.5 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय किया है।’’

भविष्य निधि जमा पर 8.5 प्रतिशत ब्याज 

मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर 8.5 प्रतिशत ब्याज देने से ईपीएफओ के पास 700 करोड़ रुपये का अधिशेष होगा। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘‘ईपीएफओ अगर 8.55 प्रतिशत ब्याज देता तो उसके पास 300 करोड़ रुपये का अधिशेष रहता। इससे ज्यादा ब्याज देने पर ईपीएफओ को नुकसान होता।’’

ईपीएफ जमा पर 2019-20 के लिये घोषित ब्याज दर 2012-13 के बाद सबसे कम है। उस समय इसपर 8.5 प्रतिशत ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 2016-17 में 8.65 प्रतिशत, 2017-18 में 8.55 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वित्त वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी।

वित्त मंत्रालय से सहमति लेना जरूरी 

वित्त वर्ष 2013-14 और 2014-15 में ब्याज दर 8.75 प्रतिशत तथा 2012-13 में 8.5 प्रतिशत थी। श्रम मंत्रालय को इस मामले में वित्त मंत्रालय से सहमति लेना जरूरी होता है। चूंकि ईपीएफओ रिटर्न मामले में भारत सरकार की गारंटी होती है, अत: वित्त मंत्रालय ब्याज दर की समीक्षा करता है ताकि ईपीएफओ की आय में किसी प्रकार की कमी से देनदारी नहीं बने।

वित्त मंत्रालय ईपीएफ ब्याज दर को लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) और डाकघर बचत जमा योजनाएं जैसी अन्य लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज के अनुरूप करने के लिये श्रम मंत्रालय से कहता रहा है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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