घर खरीदारों के संगठन ने दिवाला कानून में संशोधन का किया विरोध, संसदीय समिति को लिखा पत्र

Published : Feb 10, 2020, 07:48 PM IST
घर खरीदारों के संगठन ने दिवाला कानून में संशोधन का किया विरोध, संसदीय समिति को लिखा पत्र

सार

घर खरीदारों के संगठन एफपीसीई ने संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति को पत्र लिखकर दिवाला एवं रिणशोधन अक्षमता कानून में किये जा रहे संशोधन का विरोध किया है

नई दिल्ली: घर खरीदारों के संगठन एफपीसीई ने संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति को पत्र लिखकर दिवाला एवं रिणशोधन अक्षमता कानून में किये जा रहे संशोधन का विरोध किया है। यह संशोधन गड़बड़ी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ एनसीएलटी में शिकायत करने के लिये घर खरीदारों की न्यूनतम सीमा तय करने को लेकर किया जा रहा है।

घर खरीदारों के संगठन ‘फोरम फार पीपुल्स कलेक्टिव एफट्र्स (एफपीसीई)' ने वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा को इस संबंध में पत्र लिखा है।

आईबीसी कानून में संशोधन का प्रस्ताव

दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 संसद के पिछले सत्र में पेश किया गया था। इस विधेयक में 2016 के आईबीसी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक को उसके बाद वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। संसद के पिछले सत्र में विधेयक पारित नहीं हो पाया था इसलिये सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश जारी कर दिया। 

अध्यादेश में जिस संशोधन की बात की गई है उसके मुताबिक यदि किसी आवासीय परियोजना का बिल्डर कोई गड़बड़ी करता है तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में शिकायत करने के लिये उस एक परियोजना के कम से कम 100 आवंटियों अथवा उसके कुल आवंटियों का कम से कम 10 प्रतिशत खरीदारों की संख्या शामिल होनी चाहिये।

कई तरह की व्यवहारिक समस्यायें जुड़ी हुई हैं

एफपीसीआई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने कहा, ‘‘हम आईबीसी कानून के अनुच्छेद तीन में प्रस्तावित संशोधन जिसमें कि आईबीसी कानून 2016 की धारा सात में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, का पुरजोर विरोध करते हैं। ’’खरीदारों के संगठन ने इस संशोधन को ‘‘अतार्किक, अवैध और पीछे ले जाने वाला कदम’’ बताया है। संगठन ने कहा है कि एनसीएलटी के पास शिकायत करने के लिये घर खरीदारों की न्यूनतम संख्या तय किये जाने के साथ कई तरह की व्यवहारिक समस्यायें जुड़ी हुई हैं।

बिक्री करना लगातार चलने वाली प्रक्रिया है

संगठन ने कहा है, ‘‘मकानों की बिक्री करना लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। कोई खरीदार कैसे यह जान सकता है कि बिल्डर ने कितने मकान बेच दिये हैं जिससे कि वह 10 प्रतिशत की संख्या तय कर सके। खासतौर से ऐसी स्थिति में जहां ऐसी स्थिति हो कि 10 प्रतिशत संख्या 100 से कम होगी?’’

इसके साथ ही एक समस्या यह भी है कि घर खरीदारों के लिये सभी को अपने साथ बनाये रखना भी संभव नहीं है। संकट के समय जिस प्रकार राजनीतिक दल अपने सदस्यों को किसी होटल अथवा रिसार्ट में रखते हैं घर खरीदार ऐसा नहीं कर सकते हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)
 

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