आईएमएफ ने की पीएमजीकेएवाई योजना की तारीफ, कहा- महामारी के दौरान भारत में गरीबी को रोका

आईएमएफ के पेपर 'महामारी, गरीबी और असमानता: भारत से साक्ष्य' के अनुसार, देश में अत्यधिक गरीबी पूर्व-महामारी वर्ष 2019 में 1 प्रतिशत से कम देखने को मिली है और फूड ट्रांसफर यह सुनिश्चित करने में सहायक थे।

Saurabh Sharma | Published : Apr 6, 2022 6:10 AM IST / Updated: Apr 06 2022, 12:02 PM IST

बिजनेस डेस्क। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को एक पेपर जारी किया है, जिसमें महामारी के वर्षों के दौरान भारत में गरीबी और उपभोग असमानता के अनुमान के आंकड़ें दिए गए हैं। आईएमएफ के पेपर 'महामारी, गरीबी और असमानता: भारत से साक्ष्य' के अनुसार, देश में अत्यधिक गरीबी पूर्व-महामारी वर्ष 2019 में 1 प्रतिशत से कम देखने को मिली है और फूड ट्रांसफर यह सुनिश्चित करने में सहायक थे कि अत्यधिक गरीबी निचले स्तर पर रहे। आईएमएफ ने आगे कहा कि महामारी के दौरान देश में अत्यधिक गरीबी के स्तर में वृद्धि को रोकने के लिए पीएमजीकेएवाई योजना महत्वपूर्ण थी।

गरीबी रोकने में कामयाब
नए आईएमएफ पेपर के अनुसार, अत्यधिक गरीबी, जो भारत में प्रति व्यक्ति प्रति दिन पीपीपी 1.9 डॉलर से कम है, 2019 में 0.8 फीसदी जितनी कम थी। यह महामारी वर्ष 2020 के दौरान भी समान स्तर पर रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी वर्ष सहित लगातार दो वर्षों में अत्यधिक गरीबी के निम्न स्तर को अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन माना जा सकता है।

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पीएमजीकेएवाई योजना ने अत्यधिक गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई
आईएमएफ के अनुसार .294 पर खाद्य सब्सिडी असमानता भी 1993/94 में देखे गए 0.284 के अपने निम्नतम स्तर के बहुत करीब थी। आईएमएफ की रिपोर्ट में उल्लिखित कई कारकों द्वारा अत्यधिक गरीबी उन्मूलन के मामले में सकारात्मक वृद्धि हासिल की गई थी। पेपर ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) योजना का उल्लेख किया जो प्रवासियों और गरीबों को एक प्रमुख कारक के रूप में मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति करती है।

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इकोनॉमी पर पड़ा असर
आईएमएफ के पेपर में कहा गया है कि पीएमजीकेएवाई भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण था। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी ने अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाला। वहीं इनकम पर पडऩेवाला असर भी अस्थाई था। आईएमएफ ने अपने नोट में यह भी कहा कि पहले की तुलना में महामारी के कारण होने वाले वर्षों में खपत वृद्धि भी अधिक थी। खपत वृद्धि (गरीबी का एक महत्वपूर्ण निर्धारक) 2014-19 में 2004-2011 में देखी गई मजबूत वृद्धि की तुलना में अधिक पाई गई।

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आईएमएफ ने पीएमजीकेएवाई योजना को सराहा
आईएमएफ ने 'महामारी, गरीबी और असमानता: भारत से साक्ष्य' पेपर के अंत में कहा कि परिणाम भारत के खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम के विस्तार द्वारा प्रदान किए गए सामाजिक सुरक्षा जाल को प्रदर्शित करते हैं। इसने दावा किया कि इस कार्यक्रम ने गरीबों को बीमा प्रदान करके भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के झटके का एक बड़ा हिस्सा सोख लिया और भारत में अत्यधिक गरीबी को रोकने में मदद की। यह भारत की सोशल सेफ्टी आर्किटेक्चर की मजबूती को दर्शाता है।

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