एक रिसर्च रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि साल 2025 तक डिजिटली स्किल्ड कर्मचारियों की जरूरत 9 गुना तक बढ़ जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में डिजिटल स्किल से लैस कर्मचारियों की संख्या कुल कर्मचारियों का महज 13 फीसदी है।
बिजनेस डेस्क। एक रिसर्च रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि साल 2025 तक डिजिटली स्किल्ड कर्मचारियों की जरूरत 9 गुना तक बढ़ जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में डिजिटल स्किल से लैस कर्मचारियों की संख्या कुल कर्मचारियों का महज 13 फीसदी है। यह रिसर्च अमेजन (Amazon) की कंपनी अमेजन वेब सर्विसेस इंक (AWS) ने की है। इसके मुताबिक, टेक्नोलॉजी अपडेशन और इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक कर्मचारियों को 7 नई डिजिटल स्किल सीखनी होगी। कहा गया है कि 2025 तक दुनियाभर में कई अरब लोगों को डिजिटल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी।
क्या है रिपोर्ट
अमेजन की इस रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल स्किल मैन्युफैक्चरिंग और एजुकेशन जैसे गैर तकनीकी क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए भी जरूरी होगी। इसके अलावा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्लाउड आर्किटेक्ट डिजाइन और ऑरिजिनल कंटेंट जैसे सॉफ्टवेयर और वेब एप्लिकेशन बनाने वाले लोगों की डिमांड 2025 तक काफी बढ़ जाएगी। यह रिपोर्ट स्ट्रैटजी और इकोनॉमिक कन्सल्टिंग फर्म अल्फाबीटा ने तैयार की है और इसे AWS ने जारी किया है।
क्लाउड कम्प्यूटिंग में ट्रेनिंग जरूरी
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 76 फीसदी डिजिटल कर्मचारियों के लिए क्लाउड कम्प्यूटिंग में ट्रेनिंग लेना जरूरी होगा। इसकी डिमांड काफी बढ़ेगी। क्लाउड आर्किटेक्ट डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर ऑपरेशन्स सपोर्ट, वेबसाइट डेवलपमेंट, गेमिंग ऐप और सॉफ्टवेयर डेवपलमेंट के लिए तकनीकी योग्यता वाले कर्मचारियों की जरूरत होगी। इसके अलावा डेटा मॉडलिंग और साइबर सिक्युरिटी स्किल्स वाले जॉब भी बढ़ेंगे।
कैसे तैयार की गई रिपोर्ट
स्ट्रैटजी एंड इकोनॉमिक कन्सल्टिंग फर्म अल्फाबीटा ने यह रिपोर्ट तैयार की है और अमेजन वेब सर्विसेस इंक ने इसे जारी किया। इसमें आज नौकरियों में इस्तेमाल की जा रही डिजिटल स्किल्स का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में इस बात का आकलन किया गया है कि आने वाले वर्षों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और साउथ कोरिया में डिजिटल स्किल्स वाले कर्मचारियों की जरूरत किस पैमाने पर हो सकती है। इस रिसर्च में भारत के 500 से ज्यादा डिजिटल कर्मचारियों का सर्वे किया गया। इसके अलावा तकनीकी विशेषज्ञों, बिजनेस लीडर्स और नीति-निर्माताओं के इंटरव्यू भी किए गए।