भगोड़े विजय माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट पहुंचे भारतीय बैंक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई

Published : Dec 20, 2020, 02:39 PM IST
भगोड़े विजय माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट पहुंचे भारतीय बैंक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई

सार

देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम (Consortium) ने भगोड़े शराब व्यवसायी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ फिर लंदन हाईकोर्ट (London High Court) का दरवाजा खटखटाया है।

बिजनेस डेस्क। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम (Consortium) ने भगोड़े शराब व्यवसायी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ फिर लंदन हाईकोर्ट (London High Court) का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइन्स (Kingfisher Airlines) को दिए गए कर्ज की वसूली से जुड़ा हुआ है। 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई
इस मामले को लेकर बीते शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। ऋणशोधन एवं कंपनी मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ के मुख्य न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। इस दौरान विजय माल्या और बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से भारतीय उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश पेश हुए। इन सेवानिवृत न्यायाधीशों ने दोनों की कानूनी स्थिति के पक्ष और विपक्ष में दलीलें पेश की। दोनों पक्षों ने ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ दिवाला आदेश के पक्ष-विपक्ष में अपनी दलीलें पेश की।

बैंकों ने किया यह दावा
बैंकों ने विजय माल्या से धन की वसूली ब्रिटेन में करने के लिए उसकी भारतीय परिसंपत्तियों की प्रतिभूति छोड़ने का अधिकार होने का दावा किया। इस पर माल्या के वकील ने कहा कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रतिभूति का अधिकार छोड़ने की छूट नहीं है, क्योंकि उनमें जनता का पैसा लगा है।

वाणिज्यिक फैसले लेने का अधिकार
बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से पेश वकील मार्सिया शेखरडेमियन ने कहा कि एक वाणिज्यिक इकाई के तौर पर बैंकों को उसके पास गिरवी रखी परिसंपत्तियों पर अपने अधिकार के बारे में जब वे चाहें, तब उन्हें वाणिज्यिक फैसले लेने का अधिकार है। उन्होंने माल्या के ओर से पेश सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीपक वर्मा की इन दलीलों का विरोध किया कि बैंक अपने पास गिरवी रखी भारतीय परिसंपत्तियों पर अपना अधिकार छोड़ कर ब्रिटेन के कानून के तहत दिवाला प्रक्रिया नहीं अपना सकते। 


 

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