सुधरने लगी है Economy की सेहत, सरकारी आंकड़ें कुछ इस तरह से दे रहे हैं गवाही

फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finance Ministry) ने विभिन्न सेक्टर्स के आंकड़ों को लेकर इकोनॉमिक ग्रोथ पर एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में देश का विकास इंजन और बेहतर हो गया है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2021 8:18 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:08 AM IST

बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की ओर आज से जारी किए गए आंकड़ों से साफ लग रहा है कि इकोनॉमी ( Indian Economy) की सेहत में सुधार हो रहा है। खासकर रिटेल लोन (Retail Loan) में काफी तेजी देखने को मिल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते दस महीनों में बैंकों ने लोन ज्यादा बांटा है और लोन इंक्वायरी में 54 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। वहीं दूसरे सेक्टर्स में अच्छी तेजी देखने को मिली है। सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़ें बेहतर देखने को मिले हैं। वहीं दूसरी ओर इंडस्ट्रीयल सेक्टर भी काफी तेजी के साथ बढ़ा है। आइए आपको भी बताते हैं कि इकोनॉमी की सेहत में सुधार के संकेत किस तरह के आंकड़ें दे रहे हैं।

रिटेल लोन में इजाफा
अर्थव्यवस्था में खपत को मजबूत करने के लिए रिटेल लोन में इजाफा देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2021-22 में कमर्शियल बैंकों का बकाया लोन में इजाफा देखने को मिला है। सिबिल के अनुसार, आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से फरवरी और अक्टूबर के बीच इंक्वायरी की मात्रा में 54 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

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प्रोडक्शन में इजाफा
सितंबर, 2021 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी अनुमान जारी करना औद्योगिक उत्पादन में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में आईआईपी औसतन 121.3 से बढ़कर दूसरी तिमाही में 130.2 हो गया है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही ममें आईआईपी के आंकड़ें और बेहतर हो सकते थे। सरकार के अनुसार भारी मानसून की वजह से कोयला उत्पादन में काफी बाधा देखने को मिली, जिससे बिजली के उत्पादन में कमी देखने को मिली है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कैपिटल गुड्स में भी इजाफा
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कैपिटल गुड्स में भी तेजी आई है। आंकड़ों पर बात करें तो आईआईपी में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स स्थिर रहा है और अक्टूबर, 2021 में विनिर्माण के लिए खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के आठ महीने के उच्च स्तर 55.9 तक पहुंचने के बाद आने वाले महीनों में इसके बढऩे की संभावना है। वहीं बात कैपिटल गुड्स की करें तो वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के 74.0 के औसत से दूसरी तिमाही में 91.7 तक कैपिटल गुड्स इंडेक्स में तेज वृद्धि निवेश में एक महत्वपूर्ण सुधार का संकेत है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2021-22 में खपत में वृद्धि से निवेश में इजाफा होने के स्पष्ट संकेत हैं। आंकड़ों के अनुसार कंज्यूमर ड्यूरेबल इंडेक्स पहली तिमाही में 91.7 अंकों पर था जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 121.2 हो गया। वहीं नॉन कंज्यूमर ड्यूरेबल इंडेक्स भी दो तिमाहियों में 139.1 से बढ़कर 146.9 हो गया है।

महंगाई में राहत
अक्टूबर 2021 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े जारी हुए थे। जिससे पता चलता है कि महंगाई में भी धीरे-धीरे कम हो रही है। सालाना सीपीआई महंगाई पहली तिमाही में 5.6 फीसदी थी जो दूसरी तिमाही में कम होकर 5.1 फीसदी पर आ गई है। वित्त वर्ष 2021-22 के अक्टूबर में 4.5 फीसदी पर है। इसी तरह, उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति यानी सीएफपीआई वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 4 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 2.6 फीसदी और अक्टूबर में 0.8 फीसदी पर आ गई है।

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जीएसटी में इजाफा
वित्त वर्ष 2021-22 के अक्टूबर महीने में 1.3 लाख करोड़ रुपए पर था, खास बात तो ये है कि यह अब तक का दूसरा सबसे अधिक कलेक्शन देखने को मिला है, जो विकास पुनरुद्धार की मजबूती को दर्शाता है। अक्टूबर 2021 में ट्रैक्टर की बिक्री 1,15,615 इकाइयों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो सितंबर, 2021 की मात्रा की तुलना में 25 फीसदी अधिक है, जो एग्रीकल्चर सेक्टर में तेजी के संकेत हैं।

एक दशक के उच्च स्तर पर सर्विस सेक्टर
पीएमआई सर्विस सेक्टर अक्टूबर के महीने में 58.4 के लेवल पर आ गई हैं, जोकि एक दशक के उच्च स्तर हैं, जो महामारी के कमजोर होने के साथ संपर्क-आधारित सेवा क्षेत्र में एक मजबूत रिवाइवल की ओर इशारा कर रही है। वैकेशन डेस्टीनेशंस में होटल का ऑक्युपेंसी रेट वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में लगभग 55 फीसदी था जो दूसरी तिमाही में 60 फीसदी से ज्यादा हो गया है।

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निर्यात में इजाफा
वित्त वर्ष 2021-22 के अक्टूबर में लगातार सातवें महीने भारत के एक्सपोर्ट में इजाफा देखने को मिला है। भारत का एक्सपोर्ट 30 अरब डॉलर को पार कर गया है। संचयी आधार पर, अप्रैल-अक्टूबर में भारत का व्यापारिक निर्यात 232.58 बिलियन डॉलर रहा, जो 2019 में इसी अवधि की तुलना में 54.5 फीसदी अधिक है।

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