अडाणी ग्रुप को 45000 करोड़ के पनडुब्बी ठेका देने पर नेवी और रक्षा मंत्रालय में ठनी, कांग्रेस ने लगाए यह आरोप

45000 करोड़ रुपये के इस 75-आई प्रोजेक्ट के लिए अडाणी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) जॉइंट वेंचर के तहत आवेदन किया था जिसे नेवी ठुकरा चुकी है
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2020 5:19 AM IST / Updated: Jan 18 2020, 11:10 AM IST


नई दिल्ली: अडाणी ग्रुप को पनडुब्बी ठेका देने के मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय और नौसेना में ठन गई है । 45000 करोड़ रुपये के इस 75-आई प्रोजेक्ट के लिए अडाणी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) जॉइंट वेंचर के तहत आवेदन किया था जिसे नेवी ठुकरा चुकी है। एक तरफ नेवी इसके विरोध में है तो वहीं दूसरी तरफ रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के ज्वॉइंट वेंचर्स को मौका दिया जाना चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सबसे बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट में से है। 

इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सबसे बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट के लिए पांच आवेदन सामने आए थे जिसमें से नेवी की ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ ने दो को चुना है। इसमें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लारसन एंड टूब्रो शामिल हैं। इन दोनों को ही सबमरीन बनाने में अच्छा अनुभव है। ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ के सुझाव को दरकिनार करते हुए सरकार अडाणी जेवी को भी 75-आई प्रोजक्ट के सौदे के लिए चुन रही है।

रणदीप सुरजेवाला ने लगाए यह आरोप

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘ 45 हजार करोड़ रुपये की पनडुब्बी परियोजना पर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री की चुप्पी से कई संदेह पैदा होते हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘भाजपा सरकार क्या छिपा रही है? प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री खामोश क्यों हैं? सरकार ने रक्षा खरीद प्रक्रियाओं का उल्लंघन क्यों किया?’’

सुरजेवाला ने बुधवार को आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी सरकार 45 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75-आई (पनडुब्बी परियोजना) में एक निजी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रियाओं (डीपीपी) का उल्लंघन कर रही है। 

दूसरी तरफ, सरकार अथवा रक्षा मंत्रालय या संबंधित निजी समूह की तरफ से कांग्रेस के इस आरोप पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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