
World Most Expensive Material: दुनिया की सबसे महंगी कार, घर, जहाज के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा। लेकिन क्या कभी इस बारे में सोचा है कि दुनिया की सबसे महंगी चीज आखिर कौन-सी है और इसकी कीमत कितनी होगी। ये चीज हीरा, मोती और दुनियाभर के तमाम महंगे रत्नों में भी शामिल नहीं है। खास बात ये है कि इसके 1 ग्राम की कीमत में कई अरबपति बिक जाएंगे। जानते हैं वर्ल्ड की सबसे कीमती और अनोखी चीज के बारे में।
दुनिया की सबसे कीमती चीज का नाम एंटीमैटर है। बहुतों ने तो आज तक इसका नाम भी नहीं सुना होगा कि आखिर ये होती क्या है। ये चीज इतनी महंगी है कि छोटे-मोटे देश खुद का बेचने के बाद भी इसे नहीं खरीद पाएंगे। एंटीमैटर को हिंदी में 'प्रति द्रव्य पदार्थ' कहते हैं। एंटीमैटर दरअसल एक पदार्थ के ही समान है, लेकिन उसके एटम (अणु) के भीतर की हर चीज उलटी है। एटम में नॉर्मली पॉजिटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और नेगेटिव चार्ज वाले इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, लेकिन एंटीमैटर में इसके विपरीत नेगेटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और पॉजिटिव चार्ज वाले इलेक्ट्रॉन्स पाए जाते हैं। यानी एंटीमैटर में कणों का विद्युत आवेश उल्टा होता है।
एंटीमैटर हमारे आसपास के वातावरण में या जमीन के अंदर नहीं पाया जाता है। बल्कि इसे लैब में बनाना पड़ता है। इसकी बारे में सबसे पहले 1928 में वैज्ञानिक पॉल डिराक (Paul Dirac) ने दुनिया को बताया था। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक इस पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘बिग बैंग’ के बाद अंतरिक्ष में हर जगह मैटर और एंटीमैटर बिखर गए थे। ऐसे में जब दोनों की एक-दूसरे से टक्कर हुई तो उससे भारी मात्रा में गामा किरणें और एनर्जी निकली। इस घटना में ज्यादातर पदार्थ नष्ट हो गए, लेकिन बहुत कम बच गए, जो अब भी ब्रह्मांड में मौजूद हैं। कम मात्रा में मिलने के कारण ही इसकी कीमत इतनी ज्यादा है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष में जब कोई तारा ब्लैक होल में समाता है तो वो कुछ हिस्सों में टूटता है। इस घटना के दौरान एंटीमैटर निकलता है। वैज्ञानिकों ने जब इस पर खोज की तो इसे लैब में बनाने के बारे में सोचा। हालांकि, पृथ्वी पर इसे बनान काफी मुश्किल और महंगा काम है। वैज्ञानिक धरती पर इसे सबसे पहले (CERN's) की लैब में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में बनाने का दावा करते हैं।
Nasa के मुताबिक, एंटीमैटर के 1 ग्राम की कीमत 90 ट्रिलियन डॉलर (करीब 78 लाख खरब रुपए) है। दरअसल, धरती पर इसे बनाना बेहद कठिन है। यही वजह है कि अब तक इसकी बेहद कम मात्रा ही बन पाई है। इसे बनाने वाली टेक्नोलॉजी काफी खर्चीली और प्रॉसेस भी बहुत लंबी है। धरती पर 1 मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 7553 अरब रुपये तक खर्च हो जाते हैं। इसलिए वैज्ञानिक अब तक इसे बहुत कम मात्रा में ही बना पाए हैं।
वैज्ञानकों का मानना है कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा ये इतना पावरफुल है कि इसका उपयोग अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईंधन के तौर पर किया जा सकता है। कहा जाता है कि इसमें हाइड्रोजन बम से भी कई गुना ज्यादा ताकत है।