बिकने जा रहा सनी देओल का घर, जानें कब और किस कंडीशन में नीलाम होती है प्रॉपर्टी

सनी देओल की मुंबई स्थित एक प्रॉपर्टी की नीलामी होने वाली है। खबर है कि बैंक ऑफ बड़ौदा 25 सितंबर को सनी देओल के मुंबई स्थित घर की नीलामी करने जा रहा है। आखिर क्या है नीलामी और कब की जाती है?

Sunny Deol House Auction: सनी देओल (Sunny Deol) इस वक्त अपनी फिल्म 'गदर 2' (Gadar 2 Boxoffice Collection) को लेकर काफी चर्चा में हैं। इस फिल्म ने महज 9 दिन में ही वर्ल्डवाइड करीब 400 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है। इसी बीच सनी देओल से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सनी देओल की मुंबई स्थित एक प्रॉपर्टी की नीलामी होने वाली है। आखिर क्या होती है नीलामी और कब की जाती है, आइए जानते हैं।

क्या होती है नीलामी?

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भारत में नीलामी सेल ऑफ़ गुड्स एक्ट, 1930 की धारा 64 के नियमों से संबंधित है। नीलामी एक ऐसी बिक्री है जो सार्वजनिक होती है। नीलामी में इच्छुक खरीदार सामान के लिए बोली लगा सकते हैं। सामान उच्चतम बोली लगाने वाले को बेचा जाता है आम तौर पर नीलामी में चार पक्ष मौजूद होते हैं। नीलामीकर्ता (ऑक्शनर), बोली लगाने वाले (बिडर), विक्रेता (सेलर) और खरीदार (बायर)।

कब नीलाम होती है प्रॉपर्टी?

जब कोई शख्स बैंक से कोई बड़ा लोन लेता है, तो बैंक लोन के बदले गारंटी मांगता है। इस गारंटी के रूप में कर्ज लेने वाला अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रखता है। लेकिन कई बार वो उस लोन को नहीं चुका पाता है। ऐसे में बैंक उस गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी को नीलाम कर अपने पैसों की रिकवरी करता है।

कैसे नीलाम होती है प्रॉपर्टी?

- नीलामी कोई रातोंरात होनेवाली प्रॉसेस नहीं है। इसके लिए कई नियमों को फॉलो करना पड़ता है।

- लोन की EMI नहीं भरने पर सबसे पहले लोन अकाउंट को 1 साल तक सबस्टैंडर्ड एसेट की कैटेगरी में रखा जाता है।

- सबस्टैंडर्ड एसेट कैटेगरी के बाद यह डाउटफुल एसेट बन जाता है। जब बैंक इस बात से श्योर हो जाता है कि लोन लेने वाला अब उसे नहीं चुका पाएगा तो इसे लॉस एसेट्स (Loss Assests) मान लिया जाता है।

- इसके बाद बैंक संबंधित प्रॉपर्टी की नीलामी के लिए अखबार में विज्ञापन निकालता है।

- बाद में तय डेट पर उस प्रॉपर्टी की नीलामी की जाती है। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को प्रॉपर्टी बेच दी जाती है।

क्या नीलामी को चैलेंज किया जा सकता है?

कस्टमर चाहे तो अपनी प्रॉपर्टी की नीलामी को चुनौती भी दे सकता है। बैंक नीलामी में रिजर्व प्राइस और शर्तें तय करते हैं। अगर कस्टमर को लगता है कि बैंक ने नीलामी के दौरान उसकी प्रॉपर्टी की कीमत कम रखी है, तो वो इस नीलामी प्रक्रिया को चैलेंज कर सकता है। इसके साथ ही नीलामी के जरिए बैंक द्वारा अपना कर्ज वसूलने के बाद जो कुछ रकम बचती है वो लोन लेने वाले को लौटाई जाती है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सनी देओल की एक प्रॉपर्टी को बेचने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने एक विज्ञापन छपवाया है। सनी देओल ने बैंक से कर्ज लिया था, जिसे वो नहीं चुका पाए। ऐसे में बैंक अब उनकी इस प्रॉपर्टी को बेचकर लोन की रिकवरी करेगा। विज्ञापन के मुताबिक, सनी देओल ने लोन के लिए जुहू स्थित 'सनी विला' गिरवी रखा था। सनी देओल को करीब 56 करोड़ रुपये चुकाने हैं। यह नीलामी 25 सितंबर को होगी। इस नीलामी में रिजर्व प्राइस 51.43 करोड़ रुपये रखा गया है।

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