4000 रुपए ने बदली गांव के छोरे की किस्मत, जानें कैसे खड़ी कर दी 100 Cr की कंपनी

बिहार के आशुतोष ने मात्र ₹4000 के निवेश से ₹100 करोड़ की कंपनी खड़ी की। जानिए कैसे उन्होंने गिटार की कोचिंग से शुरुआत कर डिजिटल एंटरप्रेन्योर बनकर सफलता हासिल की।

Ganesh Mishra | Published : Oct 13, 2024 4:47 PM IST

बिजनेस डेस्क। कौन कहता है-आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...दुष्यंत कुमार की लिखी ये पंक्तियां बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले उस शख्स पर सटीक बैठती हैं, जिसने सिर्फ 4000 रुपए से 100 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी। आइए जानते हैं आखिर क्या है ये दिलचस्प किस्सा।

बिहार के सीतामढ़ी जिले के हर्दिया गांव के रहने वाले आशुतोष प्रतिहस्त की परवरिश एक ज्वॉइंट फैमिली में हुई। उनके पिता ने कभी जॉब नहीं की, लेकिन तीन चाचा सरकारी नौकरी में थे। आशुतोष बचपन से ही काफी शरारती थी। ये तक कि गांव में उनकी पूरी दुपहरी दूसरे बच्चों से लड़ाई-झगड़े और शैतानियों में बीतती थी। आए दिन लोग उनकी मां के पास शिकायतें लेकर जाते कि तुम्हारा बच्चा बहुत शैतान है। अगर ये पढ़-लिखकर कुछ बन गया तो हम समझ जाएंगे कि इसने दुनिया में कुछ किया। इससे मेरी मां तनाव में रहने लगीं। वो अक्सर पापा से कहतीं कि हमें बाहर चलकर इसे अच्छी जगह पढ़ाना चाहिए, लेकिन पापा तैयार नहीं थे।

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मां की हालत देख डॉक्टर बोले- इन्हें बाहर ले जाना होगा

आशुतोष के मुताबिक, मां का डिप्रेशन इतना ज्यादा बढ़ गया कि डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि इन्हें आपको बाहर ले जाना पड़ेगा, ताकि इनका मन बदल सके। इसके बाद मेरे पापा 2005 में दिल्ली शिफ्ट हुए। यहां पापा ने 5000 रुपए महीने की नौकरी शुरू की। उस वक्त मेरी उम्र 6-7 साल थी। मेरी शैतानियां यहां भी बदस्तूर जारी थीं। लेकिन जब मैंने कुछ बड़े नुकसान किए तो मुझे धीरे-धीरे पैसे की अहमियत पता चली।

मुझे पढ़ाई के लिए भेज दिया गुवाहाटी

पिता जी ने मेरा दाखिला गुवाहाटी के केंद्रीय विद्यायल में करा दिया। वहां बच्चे असमिया में बात करते थे और मुझे सिर्फ हिंदी समझ आती थी। धीरे-धीरे मेरे अंदर असुरक्षा की भावना आने लगी। वहां से किसी तरह पढ़ाई खत्म कर मैं दिल्ली वापस आ गया। यहां आकर मैंने एक दिन अपने पापा-मम्मी से पूछा- अमीर कैसे बनते हैं? क्योंकि मैंने देखा था कि जो बच्चे अमीर थे उन्हें काफी इज्जत मिलती थी। उनके अच्छे दोस्त बन जाते थे।

होली में रंग खरीदने, दिवाली पर मिठाई खरीदने तक के पैसे नहीं

आशुतोष के मुताबिक, जब मैं 10वीं क्लास में था तो उसी वक्त मेरे पिता की नौकरी चली गई। इसके बाद तो हमारी जिंदगी का बुरा फेज शुरू हो गया। किसी तरह उधार लेकर घर का खर्च चलता था। हालात इतने बुरे थे कि होली पर रंग खरीदने, दिवाली पर मिठाई खाने तक के पैसे नहीं होते थे। फाइनली पापा ने तय किया कि मेरी 12वीं होते ही वो गांव लौट जाएंगे।

परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए मुझे कुछ करना होगा..

अपने घर की तंगहाली देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे इसके लिए कुछ करना होगा। चूंकि मुझे गिटार बजाना आता था, इसलिए मैंने गिटार की कोचिंग शुरू की। इससे मैं महीने के 4000-5000 रुपए कमाने लगा। इस तरह मैं अपने खर्चे निकालने लगा। इसके बाद मैंने 12वीं क्लास 92% मार्क्स से पास की।

कॉल सेंटर में 6000 की जॉब करते-करते पलटी किस्मत

आशुतोष के मुताबिक, मैंने नौकरी के लिए इधर-उधर काफी धक्के खाने के बाद एक कॉल सेंटर में 6000 रुपए महीने की नौकरी शुरू की। एक दिन कॉल में एक शख्स को मेरी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हें यहां काम करने पर कितने पैसे मिलते हैं? इस पर मैंने जान-बूझकर अपनी इनकम 12000 रुपए बताई। उन्होंने कहा- मैं तुम्हें इससे ज्यादा पैसें दूंगा। इंटरव्यू के लिए आ जाओ।

पैसा कैसे कमाया जाए, दिमाग में हरदम घूमता था ये सवाल
मैंने इंटरव्यू दिया और उन्होंने मुझे सिलेक्ट कर लिया। इसके साथ ही मेरी सैलरी बढ़ाकर 14000 रुपए महीना कर दी। ये एक स्टार्टअप कंपनी थी। उस वक्त मेरी उम्र 19 साल थी। वहां मैंने देखा कि स्टार्टअप के फाउंडर की उम्र 22-24 साल थी, लेकिन वो महीने के करोड़ों कमा रहे थे। इसके बाद मैंने सेल्फ डेवलपमेंट के लिए मोटिवेशनल किताबें पढ़ना शुरू कीं। धीरे-धीरे मेरे अंदर काफी बदलाव आया। इसके बाद मैंने अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की और कहा- मैं यहां बच्चों की स्किल डेवलपमेंट के साथ बतौर मोटिवेशनल स्पीकर उन्हें कोचिंग देना चाहता हूं। मेरा आइडिया पसंद आया और उन्होंने इसकी परमिशन दे दी।

Evolution नाम से अपनी खुद की ऑर्गेनाइजेशन बनाई
इसके बाद मैंने एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई, जिसका नाम रखा इवॉल्यूशन। ये इतनी सफल हुई कि मुझे दूसरे कॉलेजों से भी बुलावा आने लगा। इसके बाद मैंने दिल्ली के अलग-अलग कॉलेजों में बहुत सारे इवेंट किए। इसके बाद मैंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया। शुरू में न कोई व्यूज मिलता न लाइक, लेकिन एक बात समझ आई कि किसी भी काम में सफलता के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है।

2020 में आया जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट

इसी बीच कोरोना महामारी आई और लॉकडाउन ने सबकुछ पलट दिया। कोरोना में लोग घरों में कैद थे। ऐसे में लोग मेरे वीडियो भी देखने लगे और धीरे-धीरे उनमें व्यूज आने शुरू हुए। देखते ही देखते मेरे 15K सब्सक्राइबर्स भी हो गए। इसी दौरान मैंने एक ई-बुक लिखी, जिसमें अपने तीन साल के अनुभव का निचोड़ बताया। मैंने इसमें बताया कि कैसे मैंने जीरो से स्टार्ट कर 3 लाख रुपए महीने की इनकम अचीव की। इस बुक को सेल करके मैंने 8 से 9 लाख रुपए कमाए।

IDigitalPreneur की शुरू

आशुतोष प्रतिहस्त ने लोगों को डिजिटली डेवलप करने और उन्हें स्किल सिखाने के लिए IDigitalPreneur नाम से एड-टेक प्लेटफॉम शुरू किया। सिर्फ 11 महीने में ही ये कंपनी 7 करोड़ की हो गई। फिलहाल उनकी इस कंपनी की वैल्यूएशन 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। आशुतोष को हमेशा इस बात में दिलचस्पी थी कि पैसा कैसे कमाया जाए और उन्होंने उस स्किल पर काम किया। उनकी कहानी से लाखों-करोड़ों लोग प्रेरणा ले रहे हैं।

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